विक्रम यूनिवर्सिटी को ‘फेल’ साबित कर विद्यार्थी हुआ पास
उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय उत्तरपुस्तिका मूल्यांकन जैसे गंभीर काम में किस तरह की लापरवाही बरत रहा है, ऐसा एक मामला सामने आया है। बीकॉम के एक छात्र को एक विषय में फेल कर दिया गया। मगर छात्र को यकीन था कि वह अनुत्तीर्ण नहीं हो सकता। उसने रिजल्ट को चुनौती दी और विवि के मूल्यांकन को फेल साबित कर दिया। दरअसल शिक्षक ने कॉपी अधूरी ही जांची थी। जब दोबारा मूल्यांकन हुआ तो विद्यार्थी के अंक तीन गुना बढ़ गए। अब अफसर जिम्मेदार पर कार्रवाई की बजाए मामले को अपवाद कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं।
एडवांस कॉलेज के छात्र नागेश्वर सोलंकी का बीकॉम प्रथम सेमेस्टर का परिणाम पिछले माह जारी हुआ था। रिजल्ट देख नागेश्वर सकते में आ गया। दरअसल उसे मैनेजमेंट विषय में सिर्फ 15 अंक ही दिए गए थे जबकि उसे यकीन था कि वह इस विषय में फेल नहीं हो सकता। उसने जब कॉपी खुलवाकर देखी तो इसे सही भी पाया। दरअसल मूल्यांकनकर्ता ने कई प्रश्नों के जवाब को जांचा ही नहीं था। छात्र ने विवि के अफसरों को यह बात बताई और अंकों की पुनर्गणना के लिए आवेदन किया।
हाल ही में विवि ने उक्त विषय का परिणाम घोषित किया है। नागेश्वर के संबंधित विषय में अंक 15 से बढ़कर 46 हो गए हैं। उसे 500 में से 345 नंबर मिले हैं और वह प्रथम श्रेणी में पास हुआ है। गौरतलब है कि विवि की मूल्यांकन व्यवस्था पर पिछले दिनों लगातार सवाल उठे। हालांकि हर बार अफसरों ने विद्यार्थियों की सुनवाई करने की बजाए उन्हें ही गलत ठहराया। यहां तक कहा गया कि सही ढंग से मूल्यांकन हो तो नंबर और भी कम हो जाएंगे। अब इस मामले में अफसरों को जवाब नहीं सूझ रहा है।
जांचकर्ता हो ब्लैकलिस्टेड
विवि कार्यपरिषद सदस्य लापरवाही बरतने वाले जांचकर्ताओं को ब्लैकलिस्टेड करने की अनुशंसा कर चुके हैं। हालांकि हर बार जब भी ऐसा मामला सामने आता है, अफसर कार्रवाई की बजाए बचाव की मुद्रा में आ जाते हैं। कभी मूल्यांकनकर्ता से जवाब तक तलब नहीं किया जाता।
व्यवस्था दुरुस्त हो
-विवि की मूल्यांकन व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए, इसे लेकर अफसरों से चर्चा हुई है। उन्होंने कुछ कदम उठाए भी हैं। विद्यार्थियों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे। जरा सी गलती उनका भविष्य बिगाड़ सकती है।
-हरनामसिंह यादव, कार्यपरिषद सदस्य, विक्रम विवि
कुछ केस अपवाद
मूल्यांकन व्यवस्था को ठीक कर रहे हैं। आमतौर पर उत्तपुस्तिकाओं की जांच ठीक से ही की जाती है। इस तरह के कुछ केस अपवाद हो सकते हैं।