वाराणसी और लखनऊ की संसदीय सीटों पर सिर्फ भारतीय जनता पार्टी के ही नहीं, कांग्रेस के कदम भी ठिठके हुए हैं। इन सीटों पर उम्मीदवारी को लेकर भाजपा की तरह कांग्रेस में भी ऊहापोह है। यह बात दीगर है कि कांग्रेस का असमंजस और कौतूहल इन सीटों पर भाजपा के घटनाक्रम से जुड़ा है। दोनों सीटों पर भाजपा की स्थिति स्पष्ट न होने से कांग्रेस भी पत्ते नहीं खोल रही है।

वाराणसी सीट के सिटिंग सांसद भाजपा के मुरली मनोहर जोशी हैं लेकिन ‘सोमनाथ से विश्वनाथ’ का नारा बुलंद करने वाले भाजपाई यहां से पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को चुनाव लड़ाने की पेशबंदी कर रहे हैं। जोशी या मोदी या फिर कोई और? भाजपा की इस उधेड़बुन को लेकर कांग्रेस ने भी वाराणसी सीट पर अपना प्रत्याशी घोषित करने से परहेज किया है। वैसे टिकट को लेकर कांग्रेस भी यहां दो खेमों में बंटी हुई है। एक खेमा भाजपा से सपा होते हुए कांग्रेस में आये पिंडरा के विधायक अजय राय की पैरोकारी कर रहा है तो दूसरा पूर्व सांसद राजेश मिश्र की। 2004 में पंजे के जोर से वाराणसी सीट कांग्रेस की झोली में डालने वाले राजेश मिश्र पिछले लोकसभा चुनाव में यहां सपा प्रत्याशी रहे अजय राय से पीछे तीसरे नंबर पर थे।

वहीं लखनऊ सीट के सिटिंग सांसद तो लालजी टंडन हैं लेकिन यहां कभी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह तो कभी नरेंद्र मोदी के चुनाव लड़ने की चर्चा होती रही है। भाजपाई खेमे का परिदृश्य धुंधला होने के कारण कांग्रेस ने भी यहां टिकट रोक रखा है। वैसे पिछले चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर रीता बहुगुणा जोशी यहां दूसरे पायदान पर थीं। इस चुनाव के लिए शहर कांग्रेस कमेटी ने जो मतदान कराया था, उसमें भी उन्हें सर्वाधिक वोट मिले थे। लेकिन लखनऊ से भाजपा की उम्मीदवारी तय न होने के कारण कांग्रेसी खेमा भी चुप्पी साधे हुआ है।