27853906-Group-of-happy-students-with-books-isolated-on-white-background--Stock-Photoभोपाल । मप्र में राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) से इंजीनियरिंग, फार्मेसी करने वाले छात्र अब वायवा में कम नंबर या जीरो नंबर आने पर भी फेल नहीं होंगे। अब छात्र के प्रैक्टिकल में ही पासिंग मार्क्स आ जाते हैं तो फिर उसे वायवा में पास होने की जरूरत नहीं रहेगी। यह व्यवस्था विवि इंजीनियरिंग, फार्मेसी सेकंड सेमेस्टर के अगस्त में होने वाले ऑनलाइन प्रैक्टिकल एग्जाम से शुरू कर रहा है।

विवि ने पिछले साल से च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) के तहत ऑनलाइन प्रैक्टिकल एग्जाम शुरू किए हैं। इस व्यवस्था से पहला एग्जाम इंजीनियरिंग, फार्मेसी फर्स्ट सेमेस्टर का हुआ था। इसमें करीब 7 हजार छात्र फेल हो गए थे। इसके बाद कॉलेज और छात्रों ने ऑनलाइन प्रैक्टिकल एग्जाम का विरोध भी किया था। इसको देखते हुए विवि ने ऐसी व्यवस्था कर दी है कि अब छात्र ऑनलाइन वायवा में फेल ही नहीं होंगे।

पहले यह थी व्यवस्था

इंजीनियरिंग के चार विषयों में प्रैक्टिकल और वायवा होता है। हर विषय में प्रैक्टिकल 40-40 नंबर और वायवा 10-10 नंबर का होता था। इन दोनों में 31-31 फीसदी नंबर लाने होते थे।

यह रहेगी व्यवस्था

पहले चार विषयों का वायवा अलग-अलग होता था। यानी प्रत्येक के 10-10 नंबर अलग मिलते थे। अब चारों विषय के वायवा एक बार में यानी 40 नंबर का होगा। अगर छात्र प्रैक्टिकल में ही अधिक नंबर ले आते हैं तो उन्हें वायवा में पास होने की जरूरत नहीं होगी। अगर छात्र प्रैक्टिकल में पूरे 31 फीसदी नंबर ले आता है तो उसे वायवा में पास होने की जरूरत नहीं रहेगी।

प्रैक्टिकल में अधिक नंबर लाना होगा जरूरी

नई व्यवस्था के बाद से छात्रों को प्रैक्टिकल में अधिक नंबर लाना जरूरी रहेगा। इसके बाद अगर उनके वायवा में नंबर नहीं भी आते हैं तो भी फेल नहीं होंगे। अगर छात्र वायवा में भी अच्छे नंबर लाते हैं तो उनका रिजल्ट अच्छा बनेगा। – डॉ. मोहन सेन, एग्जाम कंट्रोलर, आरजीपीवी