लोकसभा में RTI संशोधन बिल पेश
सामाजिक कार्यकर्ता आरटीआई कानून में संशोधन के प्रयासों की आलोचना कर रहे हैं. उनका कहना है कि इससे देश में यह पारदर्शिता पैनल कमजोर होगा. विधेयक को पेश किये जाने का विरोध करते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि मसौदा विधेयक केंद्रीय सूचना आयोग की स्वतंत्रता को खतरा पैदा करता है.
नई दिल्ली: विपक्ष के कड़े विरोध तथा कांग्रेस एवं तृणमूल कांग्रेस के वाक आउट के बीच सरकार ने लोकसभा में शुक्रवार को सूचना का अधिकार संशोधन विधेयक 2019 पेश किया. विधेयक को नौ के मुकाबले 224 मतों से पेश करने की अनुमति दी गयी. विधेयक में यह उपबंध किया गया है कि मुख्य सूचना आयुक्त एवं सूचना आयुक्तों तथा राज्य मुख्य सूचना आयुक्त एवं राज्य सूचना आयुक्तों के वेतन , भत्ते और सेवा के अन्य निबंधन एवं शर्ते केंद्र सरकार द्वारा तय किए जाएंगे. मूल कानून के अनुसार अभी मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का वेतन मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं निर्वाचन आयुक्तों के बराबर है. प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने सूचना का अधिकार अधिनियम ,2005 में संशोधन करने वाले इस विधेयक को पेश किया. उन्होंने कहा कि पारदर्शिता के सवाल पर मोदी सरकार की प्रतिबद्धता पर कोई सवाल नहीं उठा सकता है. उन्होंने जोर दिया कि सरकार अधिकतम सुशासन , न्यूनतम सरकार के सिद्धांत के आधार पर काम करती है. विधेयक के संदर्भ में मंत्री ने कहा कि इसका मकसद आरटीआई अधिनियम को संस्थागत स्वरूप प्रदान करना , व्यवस्थित बनाना तथा परिणामोन्मुखी बनाना है.क्यों हो रहा है विरोध
सामाजिक कार्यकर्ता आरटीआई कानून में संशोधन के प्रयासों की आलोचना कर रहे हैं. उनका कहना है कि इससे देश में यह पारदर्शिता पैनल कमजोर होगा. विधेयक को पेश किये जाने का विरोध करते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि मसौदा विधेयक केंद्रीय सूचना आयोग की स्वतंत्रता को खतरा पैदा करता है. कांग्रेस के ही शशि थरूर ने कहा कि यह विधेयक वास्तव में आरटीआई को समाप्त करने वाला विधेयक है जो इस संस्थान की दो महत्वपूर्ण शक्तियों को खत्म करने वाला है. एआईएमआईएम के असादुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह विधेयक संविधान और संसद को कमतर करने वाला है. ओवैसी ने इस पर सदन में मत विभाजन कराने की मांग की. कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने इस दौरान सदन से वाकआउट किया.
केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार में आरटीआई आवेदन कार्यालय समय में ही दाखिल किया जा सकता था. लेकिन अब आरटीआई कभी भी और कहीं से भी दायर किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने सीआईसी के चयन के विषय पर आगे बढ़कर काम किया है. सोलहवीं लोकसभा में विपक्ष का कोई नेता नहीं था. ऐसे में सरकार ने संशोधन करके इसमें सबसे बड़ी पार्टी के नेता को जोड़ा जो चयन समिति में शामिल किया गया.