इलाहाबाद के संगम तट पर जनवरी 2013 में लगे महाकुंभ के दौरान राज्य सरकार ने केंद्र से मिले पैसों का खूब घालमेल किया. केंद्र से विशेष अनुदान के रूप में मिले 800 करोड़ रुपये को खर्च तक नहीं किया और उसे राज्यांश का हिस्सा दिखा दिया गया. यही नहीं, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र से मिले पैसे को खर्च कर राज्य सरकार ने मेले के सफल आयोजन पर भी खूब वाहवाही लूटी.

कैग की यह रिपोर्ट मंगलवार को यूपी विधानसभा के पटल पर रखी गई. रिपोर्ट के मुताबिक महाकुंभ के लिए 1,152.20 करोड़ में से 1,01.37 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए. भारत सरकार से मिले विशेष अनुदान 800 करोड़ से राज्यांश की प्रतिपूर्ति कर ली गई. इस कारण महाकुंभ के लिए केंद्र की राशि 1,141.63 करोड़ (99 फीसदी) और राज्यांश की राशि घटकर 10.57 करोड़ यानी मात्र एक फीसदी ही रह गई. यही नहीं, सीएजी की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मेला निधि से खर्च होने वाली राशि की निगरानी के लिए कोई नोडल अधिकारी तक नहीं बनाया गया.

पैसे जारी करने में भी हुई देरी
रिपोर्ट में कहा गया है कि नगर विकास विभाग से मेलाधिकारी और मेलाधिकारी से कार्यदायी संस्थाओं को राशि जारी करने में 67 से 375 दिन की देरी हुई. काम कराने और मेले के लिए सामान खरीदने का माइलस्टोन (तिथि) निर्धारित नहीं किया गया. इससे मेला शुरू होने की तिथि 14 जनवरी 2013 तक 59 फीसदी निर्माण कार्य पूरे नहीं हो पाए और 19 फीसदी सामानों की आपूर्ति नहीं हो पाई. निर्माण कार्यों के लिए इंडियन रोड कांग्रेस के मानकों का पालन नहीं किया गया. इस कारण 111 कामों में से 81 काम बिना तकनीकी स्वीकृति के करवा दिए गए. इनमें मार्गों के चौड़ीकरण पर 57.41 करोड़, एस्‍टीमेट तैयार करने में 27.56 करोड़ और 11.82 करोड़ तारकोल (बिटुमिन) कार्य पर नियम विरुद्ध खर्च कर दिए गए.