सूरत। एक पुरानी कहावत है कि इतिहास जब-जब लिखा गया है तो स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। इसी तरह का एक इतिहास रविवार को सूरत में लिखा गया। यह इतिहास सोने की स्याही से लिखी भागवत गीता को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत को सौंप कर रचा गया। सूरत के एक जैन मुनि ने विशेष रूप से भागवत गीता की यह प्रति तैयार कराई है। सोने के अक्षरों में गीता लिखने का काम एक मुस्लिम यूनुस भाई शेख ने किया है।

मोहन भागवत को यह पुस्तक रविवार को यहां एक कार्यक्रम में एक जैन मुनि अभयदेवसूरिश्वर ने भेंट की। 346 ग्राम सोने से बनी इस भागवत गीता में 745 श्लोक हैं। इस पुस्तक में भगवान श्री कृष्ण के उपदेशों के अलावा भगवान महावीर के उपदेशों को भी जगह दी गई है। भागवत इस गीता को नागपुर स्थित संघ मुख्यालय में रखेंगे।

इस मौके पर जैन मुनि महाराज ने कहा कि संघ प्रमुख को इस गीता को सौंपने का उद्देश्य सिर्फ यही था कि पुस्तक संस्कृति और संस्कार देने वाली संस्था के पास जाए। दरअसल, संघ हिन्दू संस्कृति की रक्षा करने वाला संगठन है, इसलिए भागवत को दिया गया।

यूनुस भाई शेख का परिवार पूरी धार्मिक शुद्धता से लिखता है श्लोक

संघ प्रमुख भागवत को भेंट की गई इस गीता की बड़ी विशेषता यह है कि इसे गुजरात के सुरेंद्र नगर जिले में रहनेवाले यूनुस भाई शेख और उनके परिवार के सदस्यों से अपने हाथों से लिखा है। स्वर्ण अक्षर हस्तलिखित गीता के भेंट समारोह में यूनुस भाई शेख भी सूरत पहुंचे थे।

वैसे तो वे पहले भी हिन्दू और जैन धर्म की धार्मिक पुस्तकें लिख चुके हैं, मगर सोने की स्याही में गीता उन्होंने पहली बार लिखी है। इसे लिखने में यूनुस भाई को लगभग दो महीने लगे। यूनुस भाई ने बताया कि उनके इस काम में शुद्धता पूर्वक उनका पूरा परिवार मदद करता है।

ऐसे लिखी गीता

यूनुस भाई ने इसके लिए हेंडमेड कलर वाला कागज लिया, ताकि सोने की चमक उभर कर आए। सोने की स्याही 24 कैरेट सोना से बनाई गई। उसमें देसी गुंदर मिलाया गया।