याकूब मेमन को सुबह 7 बजे दी गई फांसी
नागपुर। 1993 मुंबई हमलों के गुनहगार याकूब मेमन को आज सुबह 7 बजे फांसी दे दी गई। सुबह 7.10 बजे डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया गया। फांसी देते समय एक जज, डीआईजी और दो कांस्टेबल समेत छह अधिकारी मौके पर मौजूद थे। इसके बाद याकूब का पोस्टमार्टम किया गया। परिवार से चर्चा के बाद शव नागुपर से मुंबई लाया जाएगा, जहां दफनाने की विधि पूरी की जाएगी।
रात भर चली गहमागहमी के बाद सुबह साढ़े चार बजे सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण की इस याचिका को खारिज कर दिया कि फांसी के पहले 14 दिन का वक्त दिया जाना चाहिए। याचिका में मांग की गई थी कि मौत की सजा पाए दोषी को 14 दिन का समय दिया जाए जिससे कि वह दया याचिका खारिज किए जाने को चुनौती देने और अन्य उद्देश्यों के लिए तैयार हो सके।
विचार विमर्श के बाद प्रधान न्यायाधीश ने उन्हीं तीन न्यायाधीशों की पीठ गठित कर दी जिन्होंने पूर्व में मौत के वारंट पर फैसला किया था।
डेढ़ घंटे सुनवाई के बाद इस पीठ ने सभी आपत्तियों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि याकूब को अपनी बात रखने के लिए पर्याप्त समय दिया गया है।
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ताओं आनंद ग्रोवर और युग चौधरी ने कहा कि अधिकारी याकूब को दया याचिका खारिज किए जाने के राष्ट्रपति के फैसले को चुनौती देने का अधिकार दिए बिना उसे फांसी लगाने पर तुले हैं।
ग्रोवर ने कहा कि मौत की सजा का सामना कर रहा दोषी दया याचिका खारिज होने के बाद विभिन्न उददेश्यों के लिए 14 दिन की मोहलत पाने का हकदार है।
याकूब की याचिका का विरोध करते हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि उसकी ताजा याचिका प्रणाली का उल्लंघन करने के समान है।
उन्होंने कहा कि 10 घंटे पहले तीन न्यायाधीशों द्वारा मौत के वारंट को बरकरार रखे जाने के फैसले को निरस्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि समूचा प्रयास लंबे समय तक जेल में रहने और सजा कम कराने का प्रयास प्रतीत होता है।
फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि राष्ट्रपति द्वारा 11 अप्रैल 2014 को पहली दया याचिका खारिज किए जाने के बाद दोषी को काफी समय दिया गया जिसकी सूचना उसे 26 मई 2014 को दी गई थी।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि असल में पहली दया याचिका खारिज होने के बाद उसे काफी समय दिया गया जिससे कि वह परिवार के सदस्यों से अंतिम मुलाकात करने और अन्य उद्देश्यों के लिए तैयार हो सके।
पीठ ने कहा, यदि हम डेथ वारंट पर रोक लगाते हैं तो यह न्याय का मजाक होगा। इसने यह भी कहा कि रिट याचिका में कोई दम नहीं लगता।
सुनवाई के लिए अदालत कक्ष अभूतपूर्व रूप से रात में खोला गया। तीन बजकर 20 मिनट पर शुरू हुई सुनवाई 90 मिनट तक चली जो कुछ देर पहले खत्म हुई।
न्यायालय के फैसले से फांसी रूकवाने के याकूब के वकीलों का अंतिम प्रयास विफल हो गया। उसे सुबह सात बजे नागपुर केंद्रीय कारागार में फांसी दी जानी है।