नए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यदिवस की शुरुआत शपथ ग्रहण समारोह में आए विदेशी नेताओं के साथ मुलाकात से शुरू की। पीएमओ में पदभार संभालने के बाद मोदी ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ हैदराबाद हाउस में सबसे पहले अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई से मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच आपसी रिश्तों और अफगानिस्तान में भारत द्वारा कराए जा रहे विकास कार्यो की समीक्षा की। प्रधानमंत्री ने करजई को आगे भी मदद जारी रखने का भरोसा दिया।

इसके बाद मोदी ने मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन अब्दुल गयूम से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने आपसी रिश्तों और दक्षिण एशिया के राजनीतिक हालात पर चर्चा की।

दक्षेस नेताओं के साथ मुलाकात की इस कड़ी में सबसे अहम होगी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ मोदी की वार्ता। दोनों नेताओं के बीच इस पहली शीर्ष बातचीत से किसी बड़े नतीजे की उम्मीद तो नहीं है, लेकिन इससे संबंध सुधार की गाड़ी आगे बढ़ाने का रास्ता तय जरूर होना है।

मोदी के शपथ समारोह के लिए सोमवार सुबह यहां पहुंचे शरीफ ने भी स्पष्ट किया कि वह पाकिस्तान की अवाम की ओर से दोस्ती और शुभकामनाओं का संदेश लेकर आए हैं। शरीफ और मोदी के बीच मंगलवार दोपहर करीब 12:10 पर शिखर मुलाकात होनी है। मोदी इसके अलावा नेपाल, भूटान और मॉरीशस के शासनाध्यक्षों से भी मिलेंगे।

सूत्रों के मुताबिक भारत और पाक के बीच रिश्तों की नजाकत के मद्देनजर ही मोदी-शरीफ की इस रस्मी औपचारिकता बताई जा रही मुलाकात के लिए भी आधे घंटे से अधिक का वक्त रखा गया है। दक्षेस देशों के अन्य नेताओं के साथ मोदी की मुलाकात का समय इससे कुछ कम होगा। भारतीय खेमा हालांकि इस बात को लेकर काफी एहतियात बरत रहा है कि दोनों नेताओं की यह पहली वार्ता अपेक्षाओं के बोझ का शिकार न हो जाए। विदेश मंत्रालय के अनुसार मीडिया को इस मुलाकात में केवल तस्वीर लेने की ही इजाजत दी गई है।

शरीफ ने भारत आने के बाद कुछ मीडिया चैनलों को दिए साक्षात्कार में कहा कि वह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ अधूरी छूटी संबंध सुधार की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहेंगे। शरीफ का कहना था कि दोनों देशों के बीच कई समानताएं हैं जिन्हें ताकत में बदलने की जरूरत है। इसके लिए जरूरी है कि दोनों मुल्क एक-दूसरे के प्रति अविश्वास को कम करें।

दोनों नेताओं के बीच इस पहली मुलाकात के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बीते कई महीनों से रुकी वार्ता प्रक्रिया के चरणों का रास्ता खुलने की उम्मीद है। महत्वपूर्ण है कि दोनों देशों के बीच वाणिज्य-व्यापार, जल संसाधन के साथ ही आतंकवाद के मुद्दे को लेकर भी वार्ताओं की कवायद लंबित है। सीमा पर संघर्ष विराम उल्लंघन के कारण बढ़ी तल्खी और मुंबई आतंकी हमले के गुनहगारों को सजा के मोर्चे पर पाकिस्तान की सुस्ती भारत की खीझ बढ़ाती रही है।