रेलवे में बेहद छोटे स्तर पर शुरू की गई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) योजना सफल होती नहीं दिख रही है। मंत्रालय के दबाव पर रेलवे ने इलाहाबाद डिवीजन में सात हजार मीटर लंबी चहारदीवारी निर्माण का कार्य पीपीपी में कराने की तैयारी की। इसके तहत निवेशकों को खुद की रकम से चहारदीवारी का निर्माण कराना होगा।बदले में उन्हें 10 साल के लिए इस पर विज्ञापन का अधिकार दिया जाएगा ताकि वे निवेश की गई रकम विज्ञापन के जरिये वसूल सकें, लेकिन पहले दौर में कोई फर्म इस कार्य के लिए आगे नहीं आई। इसे लेकर रेलवे अफसरों की टेंशन बढ़ गई है।मोदी सरकार आने के बाद रेलवे में पीपीपी का ढोल बज रहा है। अफसर हर कार्य में पीपीपी की संभावना तलाश रहे हैं।

बताते हैं कि स्टेशनों की सुरक्षा को लेकर मोदी सरकार ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप में चहारदीवारी का निर्माण भी शामिल कर दिया। इसके लिए सभी जोनल रेलवे को लक्ष्य दिया गया है।पूर्वोत्तर रेलवे ने इलाहाबाद सिटी समेत तीन स्टेशनों पर चहारदीवारी निर्माण का टेंडर निकाला। उत्तर मध्य रेलवे ने अलीगढ़ में सात किमी लंबी चहारदीवारी निर्माण का टेंडर किया, लेकिन इन कार्यों के लिए निवेशक ही नहीं मिले। बताते हैं कि पिछले सप्ताह इसे लेकर महाप्रबंधक ने पूछताछ की।

अफसर बताते हैं कि टेंडर की तिथि बीतने तक इंतजार किया गया, लेकिन निवेशक इसके लिए तैयार नहीं हैं। निवेशकों का कहना है कि चहारदीवारी के निर्माण लगने वाली लागत को विज्ञापन से निकाल पाना मुश्किल है। इसे लेकर एनसीआर प्रशासन दोबारा टेंडर प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है। आधिकारिक सूत्र बताते हैं कि इसे लेकर रेलवे बोर्ड भी निगरानी कर रहा है।