नई दिल्ली. नरेंद्र मोदी ने इंडिपेंडेंस-डे पर स्पीच के दौरान बलूचिस्तान का जिक्र किया था। कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने इस पर एतराज जताया। उनका कहना था कि यह मुद्दा उठाकर सरकार पाक के कब्जे वाले कश्मीर को लेकर भारत की लड़ाई को कमजोर कर रही है। इसके जवाब में बीजेपी ने कांग्रेस को 2009 के शर्म-अल-शेख की याद दिलाई। बता दें कि मनमोहन सिंह और तब पाक पीएम रहे यूसुफ रजा गिलानी के बीच मुलाकात के बाद जारी हुए इस बयान में बलूचिस्तान में भारत की दखलंदाजी का जिक्र था। इसे भारत की डिप्लोमेटिक चूक माना गया था। कांग्रेस ने क्या कहा…
– 70th इंडिपेंडेंस-डे पर सोमवार को मोदी की स्पीच के कुछ घंटों बाद ही पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेस लीडर सलमान खुर्शीद ने कहा- ‘बलूचिस्तान के बारे में पीएम को खुलेआम नहीं बोलना चाहिए था।’
– इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में खुर्शीद ने कहा- ‘बलूचिस्तान हालांकि भारत का हिस्सा था, लेकिन पंचशील के सिद्धांत इसकी इजाजत नहीं देते कि भारत दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करे।’
– उन्होंने कहा- ‘बलूचिस्तान का खुलेआम जिक्र करके सरकार पीओके (पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर) के मसले को बिगाड़ रही है। भारत ने पहले ऐसा कभी नहीं किया था। हमें इस मुद्दे को निजी बातचीत में उठाना चाहिए। लेकिन सरकार ने ऐसा करके पाकिस्तान को भारत को टारगेट करने का एक और मौका दे दिया है।’
– खुर्शीद ने शर्म एल-शेख में हुए विवाद का संदर्भ देते हुए कहा- ‘बीजेपी ने तब पूछा था कि हमें पाकिस्तान की मंजूरी क्यों चाहिए और अब पीएम कह रहे हैं कि हम बलूचिस्तान के लोगों के साथ हैं। क्या यह सही है।’
पार्टी ने बाद में खुर्शीद के बयान से पल्ला झाड़ लिया
– कांग्रेस लीडर कपिल सिब्बल ने भी कहा- बलूचिस्तान के जिक्र के नतीजे भुगतने पड़ेंगे। वहीं, राज्यसभा में कांग्रेस के डिप्टी लीडर आनंद शर्मा ने कहा- ‘नई दिल्ली ने बलूचिस्तान के बारे में पहले बेहतर बात की थी।’
– आखिर में कांग्रेस ने खुर्शीद के बयान से आधिकारिक तौर पर पल्ला झाड़ लिया। पार्टी ने कहा- ‘भारत को बलूचिस्तान में पाकिस्तान की ओर से जारी अत्याचार के मसले को बाइलैटरल और इंटरनेशनल फोरम पर एग्रेसिव तरीके से उठाना चाहिए।’
– कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा- ‘सलमान खुर्शीद का बयान पार्टी का बयान नहीं है। वह उनका निजी बयान है। कांग्रेस का यह मानना है कि बलूचिस्तान में ह्यूमन राइट्स के वॉयलेशन का मसला इंडिया से जुड़ा हुआ है।’
पीएम ने क्या कहा?
– यह पहला मौका था जब लाल किले से पीएम की स्पीच में पीओके और बलूचिस्तान का जिक्र किया गया। मोदी ने कहा, ”पिछले कुछ दिनों में बलूचिस्तान और पाक के कब्जे वाले इलाके के लोगों ने जिस तरह से मुझे बहुत-बहुत धन्यवाद दिया है इस पर मैं उनका तहे दिल से शुक्रिया अदा करना चाहता हूं।”
– बता दें कि मोदी ने कुछ दिन पहले कश्मीर मसले पर ऑल पार्टी मीटिंग में कहा था, ”पीओके भी भारत का हिस्सा है। गिलगित बालटिस्तान और बलूचिस्तान में पाकिस्तान जो हिंसा कर रहा है, उसके बारे में भी बात होनी चाहिए।” इस पर पीओके और बलूचिस्तान के लोगों ने मोदी का शुक्रिया अदा किया था।
बीजेपी ने क्या कहा?
– दरअसल, बलूचिस्तान का पहली बार जिक्र 16 जुलाई 2009 को शर्म एल-शेख में भारत-पाकिस्तान के ज्वाइंट स्टेटमेंट में हुआ था।
– बीजेपी ने तब उस वक्त के पीएम मनमोहन सिंह, कांग्रेस और यूपीए सरकार पर भारत की स्थिति से समझौता करने का आरोप लगाया था।
– बीजेपी ने कहा था कि मनमोहन सिंह शर्म-अल-शेख में शिकायतकर्ता के तौर पर गए थे और साझा बयान में बलूचिस्तान का जिक्र करवाकर कसूरवार बनकर लौट आए।
– मोदी की स्पीच पर जब कांग्रेस ने एतराज जताया तो बीजेपी ने उसे 2009 के बयान की याद दिलाई।
– केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा- ‘2009 के बयान में पाकिस्तान ने बलूचिस्तान में भारत के सीधे या गोपनीय तौर पर दखल का जिक्र किया गया था। जबकि मोदी ने बलूचिस्तान में ह्यूमन राइट्स वॉयलेशन का मुद्दा उठाया है।’
– बीजेपी ने कहा कि 2009 के साझा बयान से देश को शर्मिंदगी हुई थी और विदेश नीति से समझौता किया गया था।India-Independene-Day-3