नईदिल्ली, भोपाल। मप्र के हिस्से के हजारों करोड़ रुपए केंद्र के पास अटके हुए है, इनमें चालू वित्तीय वर्ष और पिछले सालों में स्वीकृत योजनाओं का पैसा शामिल है। जो राज्य सरकार की लंबी जद्दोजहद के बाद भी नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में परेशान मप्र सरकार ने अब इस पैसे को निकलवाने का जिम्मा अपने सांसदों को सौंपा है। जिन्हें इससे जुड़े सवाल संसद के शीतकालीन सत्र में उठाने की जिम्मेदारी दी गई है।

खासबात यह है कि मप्र सरकार ने केंद्र के पास अटके इन पैसों का खुलासा संसद के शीतकालीन सत्र से पहले प्रदेश के सभी सांसदों को भेजी एक बुकलेट के जरिए दी है। जिसमें विभागवार जानकारी दी गई है। साथ ही फंसे पैसों को निकलवाने के लिए सासंदों को जरूरी सवाल भी सुझाएं गए है। सूत्रों की मानें तो राज्य सरकार की ओर से पहले भी अपने सांसदों को संसद सत्र के शुरु होने के दौरान राज्यहित से जुड़े मुद्दे दिए जाते थे,लेकिन उनमें अब तक सिर्फ अटकी योजनाओं की ही जिक्र रहता था। इस बार मप्र सरकार ने अपने सांसदों को नए टास्क पर लगाया है। जिसके तहत उन्हें अटके पैसों को निकलवाने का जिम्मेदारी दी गई है।

बता दें कि मप्र की भाजपा सरकार ने यह नया हथकंडा उस समय अपनाया है, जब केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार है। इससे पहले यूपीए का सरकार के कार्यकाल में मप्र सरकार ने स्वीकृत योजनाओं का पैसा समय पर न मिलने को लेकर धरना भी दिया था।

इस विभागों और योजनाओं के फंसे हैं पैसे

राज्य सरकार ने सांसदों को भेजी सूची में जिन विभागों और योजनाओं के पैसों के फंसे होने का जिक्र किया है,उनमें कृषि, आदिम जाति एवं आदिवासी विकास, आयुष, वन और लोक निर्माण सहित कई विभाग है।इनमें अकेले करीब एक हजार करोड़ लोक निर्माण विभाग के और पांच सौ करोड़ आदिम जाति विभाग के है। बाकी विभागों का भी काफी स्वीकृत पैसा केंद्र के पास अटका हुआ है।

सांसदों से व्यक्तिगत स्तर पर सरकार के अधिकारी कर रहे लांबिग

मजेदार बात यह है कि केंद्र में अटके पैसे को निकालवाने के लिए राज्य सरकार के विभागीय अधिकारी प्रदेश के सासंदों से व्यक्तिगत स्तर पर भी लांबिग कर रहे है। एक अधिकारी ने इसकी पुष्टि की और बताया कि उन्होंने लोक निर्माण से जुड़े कुछ अटके प्रोजेक्टों की जानकारी उन्हें दी है।