भूमी के संबंध में प्रस्तुत आवेदन निरस्त होने के बावजुद आम जनता को गुमराह किया जा रहा है
मंदसौर। नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती कुसूम गुप्ता, उपाध्यक्ष श्री इंद्रमोहन सैनी, सभापति राजेश पालिवाल, रामेश्वर मकवाना, उमेश पारिख, बाबा पंचोली, ओमप्रकाश सोनी, श्रीमती निर्मला जोशी, वैहृलाश सिसोदिया ने प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि महाराणा बस स्टेण्ड स्थित नगर पालिका के स्वामित्व की भूमी सर्वे क्रमांक १०४१ जिसके पुराने सर्वे क्रमांक १४३३, १४३५ रकबा १५.२७० हेक्टेयर तथा सर्वे क्रमांक १४५४ जिसके पुराने सर्वे क्रमांक १४३१ रकबा ३.३१३ हेक्टेयर भूमी कब्रस्तान की होने के संबंध में जिला वक्फ कमेटी एवं अंजुमन इस्लाम कमेटी मंदसौर के द्वारा एक वाद नगर पालिका एवं मध्यप्रदेश शासन के विरुध्द तृतीय व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-२ मंदसौर श्री केएस मेडा साहब के न्यायालय के आदेशात्मक निेषेधाज्ञा का प्रस्तुत किया जिसमें वादीकालिन अस्थायी निषेधाज्ञा हेतु आवेदन पत्र भी प्रस्तुत किया गया जो कि प्रकरण क्रमांक १०१ ए /२०१५ पर दर्ज होकर १७-१०-२०१५ का आदेश पारित कर सर्वे क्रमांक १५४ में कब्रस्तान होने के संबंध में पूर्व ही वाद क्रमांक २५७ ए/ १९७६ में सिविल न्यायालय द्वारा निराकरण करते हुये कब्रस्तान नही माना है जिसे माननीय उच्च न्यायालय व माननीय सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा विनिश्चित करते हुये वादीगण का वादोक्त भूमी पर आधिपत्य व स्वत्व नही माना। इस प्रकार न्यायालय द्वारा वादोक्त भूमी नगर पालिका मंदसौर के स्वामित्व की मानी है तथा उक्त भूमी पर गुमटियां लगी हुई है जो कि अतिक्रमण है जिन्हें हटाने का अधिकार नगर पालिका मंदसौर को है। नगर पालिका मंदसौर विधिक प्रक्रिया अपनाते हुये उक्त कब्जे को हटाने हेतु स्वतंत्र है। इस प्रकार वादीगण के स्थगन बाबत आवेदन पत्र को माननीय न्यायालय द्वारा निरस्त किया गया है। नगर पालिका के स्वामित्व की उक्त भूमी के संबंध में कतिपय लोगो ने अपनी निजी स्वार्थ के लिये फर्जी तरिके से किरायेदार बताकर लोगो को भ्रमित कर रहे है तथा वर्ग विशेष के लोगो को गुमराह कर रहे है।
इस संदर्भ में यह उल्लेख करना आवश्यक है कि पूर्व में माननीय उच्च न्यायालय खण्डपीठ इंदौर के समक्ष भी महाराणा प्रताप बस स्टेण्ड पर स्थित गुमटियो के संबंध में रीट पीटीशन क्रमांक २२२२/१५ तथा साथ में इसी बिंदु पर १० पीटीशन पेश की गयी थी। जिनमें नगर पालिका मंदसौर के द्वारा गुमटियां हटाने बाबत् दिनांक २४-०३-२०१५ को दिये गये नोटिस को निरस्त करने के बाबत् प्रार्थना की गयी थी जो कि माननीय मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर द्वारा पारित संयुक्त आदेश दिनांक २३-०६-२०१५ द्वारा रीट पीटीशनकर्ताओं की पीटीशने सव्यय निरस्त की गयी है तथा उक्त आदेश में भी प्रकरण क्रमांक २५७ ए /१९७६ में पारित निर्णय एवं माननीय सर्वाेच्च न्यायालय के द्वारा पारित आदेश का भी उल्लेख किया गया है। माननीय सर्वाच्च न्यायालय के द्वारा भी उक्त भूमियो के संबंध में वादीगण भी एसएलपी निरस्त की गयी है। इस प्रकार नगर पालिका उक्त भूमी निचली कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जीत चुकी है। सर्वाेच्च न्यायालय को अदेश को लेकर जनता को गुमराह किया जा रहा है। नगर पालिका द्वारा किये जा रहे नगर विकास एवं जनहित के कार्य में किसी के बहकावे में न आकर कोर्ट के पैहृसले का सम्मान करते हुये मंदसौर नगर के विकास में सहयोग करे।