भारत रचेगा इतिहास, थोड़ी देर में होगा ASTROSAT लॉन्च
श्रीहरिकोटा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा खगोलीय पिंडो के अध्ययन के लिए पूरी तरह से समर्पित भारत के प्रथम उपग्रह एस्ट्रोसैट का आज प्रक्षेपण किया जाएगा। प्रक्षेपण यान पीएसएलवी सी 30 से आज सुबह 10 बजे इस उपग्रह का प्रक्षेपण किया जाएगा।
एस्ट्रोसेट के साथ छह और उपग्रह होंगे जिनमें एक-एक इंडोनेशिया और कनाडा से और चार छोटे उपग्रह अमेरिका से हैं। ये छह उपग्रह समुद्री निगरानी के लिए हैं। इसरो के मुताबिक एस्ट्रोसैट अंतरिक्ष वेधशाला के रूप में उसके द्वारा संचालित पहला मिशन है।
एस्ट्रोसेट में चार एक्सरे पेलोड,एक अल्ट्रा वायलेट दूरबीन और एक चार्ज पार्टिकल मॉनीटर है। ऐसा करने वाला भारत चौथा देश बन जाएगा, अभी तक अमेरिका, रूस और जापान ने ही अंतरिक्ष वेधशाला को लॉन्च किया है।
पांच साल पहले ही लांच हो गया होता एस्ट्रोसेट
एस्ट्रोसेट को 2009-10 में लांच किया जाना था। बाद में यह तिथि बढ़ाकर 2012-13 की गई लेकिन तब भी मिशन पूरा नहीं हो सका। 2012-13 में इस मिशन के लिए 6 करोड़ निर्धारित थे जो घटाकर पांच करोड़ कर दिए गए। इसी तरह 2014-15 में बजट में फिर कटौती की गई। प्रक्षेपण में हुई देरी के बारे में विभाग का तर्क है कि यह अंतरिक्ष विज्ञान का एक जटिल शोध कार्य है, इसलिए इसमें पूरी दुनिया के विशेषज्ञ वैज्ञानिकों की भागीदारी रही। इस प्रक्रिया में देर हुई।
कई तरंग आयाम में देख सकता है
बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स के प्रोफेसर सुजान सेनगुप्ता के अनुसार एस्ट्रोसेट कई तरंग आयाम (वेवलेंथ) में देख सकता है। यह दुनिया का पहला वैज्ञानिक टेलीस्कोप है, जिसमें चार विशेषीकृत कैमरे लगे हुए हैं, जो एक साथ अलग-अलग तरंगदैर्घ्य के पदार्थों को पकड़ सकते हैं।
इन संस्थाओं का भी रहा सहयोग
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च मुंबई, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स बेंगलुरु, इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स पुणे, रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट बंगलूरू, कनाडा स्पेस एजेंसी, यूनिवर्सिटी ऑफ लीस्टर यूके।
देश के पास होगा अंतरिक्ष में अपना टेलीस्कोप
छह विदेशी उपग्रह भी लांच करेगा इसरो
दुनिया भर की नजर भारतीय वैज्ञानिकों पर
एस्ट्रोसेट का वजन 1,513 किलोग्राम है
यह 180 करोड़ रुपए की लागत से बना है
भारतीय एस्ट्रोसेट उपग्रह के अलावा अमेरिका के चार और इंडोनेशिया तथा कनाडा के एक-एक उपग्रहों को ले जा रहा है
एस्ट्रोसेट को पृथ्वी से 650 किलोमीटर की ऊंचाई पर कक्षा में स्थापित किया जाएगा
आज छह विदेशी उपग्रहों के सफल प्रक्षेपण के साथ ही भारत अंतरिक्ष अनुसंधान की दिशा में 50 वर्ष पूरा कर लेगा
भारत अब तक शुल्क लेकर 45 विदेशी उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण कर चुका है
इसरो ने 2010 में एक साथ 10 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया था, जिसमें भारत के दो काटरेसैट-2ए उपग्रह भी शामिल थे
आज भारत तीसरी बार एक साथ सात उपग्रहों का प्रक्षेपण करेगा
सात उपग्रहों को ले जाने वाला यह चार स्तरीय पीएसएलवी-एक्सएल रॉकेट 44.4 मीटर लंबा और 320 टन वजनी है
इस अभियान में कुल 25 मिनट का समय लगेगा