इंदौर. बात कुछ वर्ष पुरानी है..मैं एक स्टूडियो में बैठा था…जहां एक 10 वर्ष का लड़का चाय की केटली लेकर घूम रहा था। मैंने उसका हाथ पकड़ा और हाथ से चाय की केटली छीन ली। थोड़ी देर बाद वह लड़का फिर स्टूडियो में दिखा। मैंने पूछा क्या बात है, पैसों की दिक्कत है क्या, तो किसी ने कहा इसे बांसुरी अच्छी लगती है उसे सुनने आता है, किसी और ने कहा इसे गिटार भी सीखना है। मैंने लोगों से कहा तो इसे सिखाओ। बात वहीं खत्म हो गई। कुछ वर्षों बाद मेरा फिर एक स्टूडियो में जाना हुआ, जहां एक सॉन्ग कम्पोज हो रहा था। मैंने कुछ म्यूजिशियन बुलाए थे। जैसे ही मैं वहां पहुंचा, एक लड़का मेरे गले लग गया। मैंने पूछा कौन हो भाई जवाब मिला मैं वही लड़का हूं सर, जिसके हाथ से आपने चाय की केटली छीन ली थी। वहां मौजूद लोगों से पता चला उनमें सबसे महंगा आर्टिस्ट वही था। जानकर बहुत खुशी हुई कि कैसे एक चाय वाला आतिश तारा (दीपावली पर छोड़ा जाने वाला रॉकेट जो आकाश में जाकर चारों ओर रोशनी फैलाता है) बन गया है। यह वाकिया साझा किया म्यूजिक वल्र्ड के रिनाउंड सिंगर सुखविंदर सिंह ने। सुखविंदर रविवार को इंदौर में अपनी म्यूजिक सीरीज जय हो के तहत कॉन्सर्ट करने आए हैं। पत्रिका प्लस से खास बातचीत में उन्होंने हर  विषय  पर खुलकर बात की।
 इनटॉलरेंस तो कहीं खो गया
इनटॉलरेंस कहां नहीं है, हर देश में हम घूमते हैं, थोड़ा-बहुत सभी जगह यह मु²ा होता है। शायद इतना ही हमारे यहां भी है, लेकिन इतना बड़ा भी नहीं कि इस पर तमाशा किया जाए। मुझे लगता है इनटॉलरेंस का विषय कहीं खो गया है और तमाशा ज्यादा हो गया है।
 आमिर के बयान सुने नहीं 
 आमिर खान ने इनटॉलरेंस को लेकर जो कुछ भी कहा है, मैंने सुना नहीं है इसलिए ज्यादा कुछ नहीं कह सकता। जितना उनको जानता हूं, मुझे नहीं लगता वे गलत कह सकते हैं।
 टीआरपी के लिए नहीं करता काम
 रियलिटी शोज के लिए कई ऑफर आते हैं। मेरा एक ही जवाब रहता है टैलेंट और स्टाइल होगा तो मैं आऊंगा, लेकिन टैलेंट और तमाशा होगा तो नहीं आऊंगा। टीआरपी के लिए तमाशा जरूरी है तो मुझे टीआरपी के लिए काम नहीं करना।
 जल्द ही रिलीज होगा आतिश तारा
 सोशल वर्क से इंस्पायर सुखविंदर का एलबम आतिश तारा 4 दिसंबर को रिलीज होने वाला है। वे कहते हैं एंटरटेनमेंट फील्ड से जुड़े लोगों के पास सबसे बड़ा मौका होता है कि वे समाज के लिए कुछ करें। मुझे लगता है जो सेलिब्रिटीज हैं उन्हें जरूर सोशल वर्क करना चाहिए। मैं भी अपने कंसर्ट में इसका पूरा ध्यान रखता हूं।
 कर्म से मिलता है कॉन्फिडेंस, गॉड देता है ट्रस्ट
 काम कोई भी हो, सफलता के लिए कर्म आपको कॉन्फिडेंस दे सकता है, लेकिन गॉड के जरिए ही आपको यकीन मिलता है और यकीन का आनंद सबसे बड़ा है। सुखविंदर शिव भक्त हैं और वे बताते हैं जब भी इंदौर आता हूं उज्जैन जाकर महाकाल के दर्शन करता हूं। यही नहीं मिट्टी का शिवलिंग बनाता हूं और उसकी पूजा-अर्चना कर उसे नदी में प्रवाहित करता हूं।
 तमाशा और बाजीराव के क्लाइमेक्स सॉन्ग
 सुखविंदर का हाल में रिलीज हुई फिल्म तमाशा में चली कहानी सॉन्ग काफी पसंद किया जा रहा है, वहीं बाजीराव मस्तानी का क्लाइमेक्स सॉन्ग गजानंद भी लोगों की जुबां पर है।