प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चारों महानगरों को बुलेट ट्रेन से जोड़ने संबंधी चुनावी वादे को पूरा करने के लिए सरकार हरकत में आ गई है। योजना आयोग ने इस दिशा में पहल करते हुए गुरुवार को एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई। इसमें रेल मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी भी शामिल हुए।सूत्रों के मुताबिक बैठक में इस बात पर विचार किया गया कि देश में हाईस्पीड ट्रेन का अत्याधुनिक नेटवर्क खड़ा करने के लिए किस तरह दीर्घकालिक योजना बनाई जाए। बैठक में अमेरिका के कई शहरों में हाईस्पीड ट्रेन परियोजना पर काम करने वाली एक कंसल्टेंसी कंपनी के अधिकारियों ने प्रजेंटेशन दिया।

इस विशाल परियोजना के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने के विकल्पों पर भी चर्चा हुई। केंद्र में राजग सरकार के गठन के बाद हाईस्पीड ट्रेन पर यह पहली उच्च स्तरीय बैठक है। सूत्रों का कहना है कि जल्द ही इस संबंध में अगली बैठक होगी और हाईस्पीड ट्रेन का नेटवर्क बिछाने के लिए दीर्घकालिक योजना का खाका तैयार किया जाएगा।

दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई को हाईस्पीड ट्रेन से जोड़ने पर 11 लाख करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आ सकता है। मालूम हो कि चुनाव प्रचार के दौरान मोदी ने देश के चारों महानगरों को बुलेट ट्रेन से जोड़ने का वादा किया था। उन्होंने कहा था कि वर्ष 2022 में देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा। इसलिए महानगरों को हाईस्पीड टेन से जोड़ना अच्छा होगा। फिलहाल अहमदाबाद से मुंबई तक हाईस्पीड टेन चलाने का प्रस्ताव है। अब तक इस रूट का व्यवहारिकता अध्ययन चल रहा है। यह अध्ययन 2015 के मध्य तक पूरा होगा।

जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआइसीए) की मदद से प्रस्तावित इस परियोजना पर लगभग 70,000 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है। जेआइसीए की मदद से ही दिल्ली मेट्रो भी बनी है। हाईस्पीड ट्रेन नेटवर्क पर भारी भरकम निवेश के लिए सरकार को निजी क्षेत्र के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की मदद भी लेनी पड़ेगी।