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अजमेर दरगाह के दीवान सैयद जैनुअल अबेदीन अली खान।
अजमेर
अजमेर दरगाह के दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान को अपने पद से ‘हटाए जाने’ की खबर है। उनके भाई अलाउद्दीन आलिमी ने उन्हें पद से हटाकर खुद को दरगाह का दीवान घोषित कर दिया है। बता दें कि दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान समेत सोमवार को कई सूफी मौलवियों ने देश भर में ‘सभी तरह के बीफ’ पर बैन लगाने की मांग की थी। सूफी मौलवियों का कहना था कि बीफ के चलते देश के हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सौहार्द्र में कमी आ रही है। अजमेर दरगाह के दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने 12वीं शताब्दी की इस दरगाह पर आयोजित 805वें उर्स के समापन के मौके पर जारी बयान में बीफ पर बैन लगाने की मांग की थी।

सूफी मौलवियों की ओर से जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि पीएम नरेंद्र मोदी को करोड़ों मुसलमानों को राहत देते हुए इस मुद्दे को सुलझाने का प्रयास करना चाहिए और बीफ को बैन करने के लिए अध्यादेश पारित होना चाहिए। दिल्ली की हजरत निजामुद्दीन औलिया दरगाह के अलावा कर्नाटक के गुलबर्गा शरीफ, आध्र प्रदेश के हलकट्टा शरीफ और नगौर, बरेली, कलियार, भागलपुर, जयपुर और फुलवारी जैसी दरगाहों के मौलवियों ने भी इस मांग का समर्थन किया है।

सूफियों का यह बयान उत्तर प्रदेश में नई बनी बीजेपी सरकार की ओर से अवैध बूचड़खानों पर रोक लगाने के फैसले के बाद आया। इसके अलावा राजस्थान, गुजरात और झारखंड जैसे अन्य बीजेपी शासित राज्यों में भी अवैध बूचड़खानों पर शिकंजा कसा जा रहा है। सूफी मौलवी इस बात पर सहमत दिखे कि स्लॉटर हाउस बंद होने से लाखों हिंदू और मुसलमान बेरोजगार होंगे, लेकिन बैन लगाए जाने से दोनों समुदायों के बीच हमेशा के लिए सौहार्द्र कायम हो जाएगा।