पटना। फर्जी शैक्षणिक डिग्रियों पर सरकारी कार्रवाई के डर से बिहार के 1400 प्राथमिक शिक्षकों ने इस्तीफा दे दिया। शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव के ओएसडी विनोदानंद झा ने बताया कि आने वाले दिनों में और शिक्षक इस्तीफा दे सकते हैं। उन्‍होंने बताया कि पटना हाई कोर्ट ने फर्जी शैक्षणिक योग्यता वालों को कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए नौ जुलाई तक का समय दिया था।

ऐसे में उम्‍मीद है कि अभी कई अन्‍य फर्जी डिग्रीधारी शिक्षक इस्‍तीफा दे सकते हैं। इस्तीफा देने वाले ऐसे शिक्षकों का आखिरी आंकड़ा उसके बाद ही पता चल पाएगा। शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आरके महाजन ने कहा कि फर्जी सर्टिफिकेट रखने वाले जो शिक्षक तय अवधि में इस्तीफा नहीं देंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

 

इसके अलावा ऐसे शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी, उनकी सेवाएं समाप्त हो जाएंगी और उन्हें मिली तनख्वाह व दूसरे भत्ते भी सरकार वसूलेगी। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन नरसिम्हा रेड्डी और सुधीर सिंह की खंडपीठ ने कहा था कि हमें शिक्षा मंत्री के उस बयान पर आश्‍चर्य है, जो उन्‍होंने सार्वजनिक रूप से दिया था। उन्‍होंने कहा कि राज्‍य में कई शिक्षकों की नियुक्‍ित फर्जी डिग्री के आधार पर हुई है और वे सेवा में हैं।

इसके बाद इसी बेंच ने सामाजिक कार्यकर्ता रंजीत पंडित और अन्य की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 18 मई 2015 को आदेश दिया था ऐसी नियुक्‍ितयों की विजलेंस से जांच कराई जाए। जांच में पाया गया कि करीब 3 लाख शिक्षकों के सर्टिफिकेट का वैरीफिकेशन कराने की जरूरत है।

 

सतर्कता विभाग ने 8 डीएसपी और 38 निरीक्षक को इस काम में लगाया है। राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में कहा था कि उसे इस भारी-भरकम काम को पूरा करने में कम से कम तीन-चार महीने लग जाएंगे। उसके बाद कोर्ट ने एक समय सीमा तय कर कहा था कि उसके अंदर अपने आप ही इस्तीफा देने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी।

पटना। फर्जी शैक्षणिक डिग्रियों पर सरकारी कार्रवाई के डर से बिहार के 1400 प्राथमिक शिक्षकों ने इस्तीफा दे दिया। शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव के ओएसडी विनोदानंद झा ने बताया कि आने वाले दिनों में और शिक्षक इस्तीफा दे सकते हैं। उन्‍होंने बताया कि पटना हाई कोर्ट ने फर्जी शैक्षणिक योग्यता वालों को कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए नौ जुलाई तक का समय दिया था।

ऐसे में उम्‍मीद है कि अभी कई अन्‍य फर्जी डिग्रीधारी शिक्षक इस्‍तीफा दे सकते हैं। इस्तीफा देने वाले ऐसे शिक्षकों का आखिरी आंकड़ा उसके बाद ही पता चल पाएगा। शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आरके महाजन ने कहा कि फर्जी सर्टिफिकेट रखने वाले जो शिक्षक तय अवधि में इस्तीफा नहीं देंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

यह भी पढ़ें : फर्जी डिग्री मामले में फिर घिरी ‘आप’

इसके अलावा ऐसे शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी, उनकी सेवाएं समाप्त हो जाएंगी और उन्हें मिली तनख्वाह व दूसरे भत्ते भी सरकार वसूलेगी। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन नरसिम्हा रेड्डी और सुधीर सिंह की खंडपीठ ने कहा था कि हमें शिक्षा मंत्री के उस बयान पर आश्‍चर्य है, जो उन्‍होंने सार्वजनिक रूप से दिया था। उन्‍होंने कहा कि राज्‍य में कई शिक्षकों की नियुक्‍ित फर्जी डिग्री के आधार पर हुई है और वे सेवा में हैं।

इसके बाद इसी बेंच ने सामाजिक कार्यकर्ता रंजीत पंडित और अन्य की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 18 मई 2015 को आदेश दिया था ऐसी नियुक्‍ितयों की विजलेंस से जांच कराई जाए। जांच में पाया गया कि करीब 3 लाख शिक्षकों के सर्टिफिकेट का वैरीफिकेशन कराने की जरूरत है।

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सतर्कता विभाग ने 8 डीएसपी और 38 निरीक्षक को इस काम में लगाया है। राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में कहा था कि उसे इस भारी-भरकम काम को पूरा करने में कम से कम तीन-चार महीने लग जाएंगे। उसके बाद कोर्ट ने एक समय सीमा तय कर कहा था कि उसके अंदर अपने आप ही इस्तीफा देने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी।

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पटना। फर्जी शैक्षणिक डिग्रियों पर सरकारी कार्रवाई के डर से बिहार के 1400 प्राथमिक शिक्षकों ने इस्तीफा दे दिया। शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव के ओएसडी विनोदानंद झा ने बताया कि आने वाले दिनों में और शिक्षक इस्तीफा दे सकते हैं। उन्‍होंने बताया कि पटना हाई कोर्ट ने फर्जी शैक्षणिक योग्यता वालों को कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए नौ जुलाई तक का समय दिया था।

ऐसे में उम्‍मीद है कि अभी कई अन्‍य फर्जी डिग्रीधारी शिक्षक इस्‍तीफा दे सकते हैं। इस्तीफा देने वाले ऐसे शिक्षकों का आखिरी आंकड़ा उसके बाद ही पता चल पाएगा। शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आरके महाजन ने कहा कि फर्जी सर्टिफिकेट रखने वाले जो शिक्षक तय अवधि में इस्तीफा नहीं देंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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इसके अलावा ऐसे शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी, उनकी सेवाएं समाप्त हो जाएंगी और उन्हें मिली तनख्वाह व दूसरे भत्ते भी सरकार वसूलेगी। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन नरसिम्हा रेड्डी और सुधीर सिंह की खंडपीठ ने कहा था कि हमें शिक्षा मंत्री के उस बयान पर आश्‍चर्य है, जो उन्‍होंने सार्वजनिक रूप से दिया था। उन्‍होंने कहा कि राज्‍य में कई शिक्षकों की नियुक्‍ित फर्जी डिग्री के आधार पर हुई है और वे सेवा में हैं।

इसके बाद इसी बेंच ने सामाजिक कार्यकर्ता रंजीत पंडित और अन्य की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 18 मई 2015 को आदेश दिया था ऐसी नियुक्‍ितयों की विजलेंस से जांच कराई जाए। जांच में पाया गया कि करीब 3 लाख शिक्षकों के सर्टिफिकेट का वैरीफिकेशन कराने की जरूरत है।

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सतर्कता विभाग ने 8 डीएसपी और 38 निरीक्षक को इस काम में लगाया है। राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में कहा था कि उसे इस भारी-भरकम काम को पूरा करने में कम से कम तीन-चार महीने लग जाएंगे। उसके बाद कोर्ट ने एक समय सीमा तय कर कहा था कि उसके अंदर अपने आप ही इस्तीफा देने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी।

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