बाबा आंबेडकर की जयंती पर उनके गृहनगर जाकर श्रद्धांजलि देने वाले पहले राष्ट्रपति बने कोविंद
आज पूरे देश में भारतीय संविधान निर्माता डॉ बीआर आंबेडकर की 127वीं जयंती मनाई जा रही है। इस अवसर पर पीएम मोदी, राष्ट्रपति कोविंद सहित कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस अवसर पर कहा, नेहरू जी के प्रथम मंत्रिमण्डल में बाबा साहब को विधि मंत्री के रूप में जिम्मेदारी मिली थी। उस पूरे मंत्रिमंडल में उच्च-शिक्षा की दृष्टि से डॉ. आंबेडकर के पास जितनी डिग्रियां और उपाधियां थीं, उतनी मंत्रिमण्डल के किसी अन्य सदस्य के पास नहीं थीं।
आपको बता दें कि रामनाथ कोविंद भारत के पहले राष्ट्रपति जिन्होंने डॉ बीआर आंबेडकर की जयंती पर मध्यप्रदेश स्थित उनके गृहनगर महू जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर उन्होंने बाबा आंबेडकर की उपलब्धियां गिनाते हुए ये बातें कहीं..
-राष्ट्रपति कोविंद ने आगे कहा- बाबा साहब के अनुसार मनुष्य के हर प्रकार के विकास के लिए शिक्षा एक आधारभूत जरूरत होती है। इसलिए उन्होंने इन वर्गों को जो नारा दिया था कि ‘‘शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो’’, उसमें भी बाबा साहब ने शिक्षा को ही प्राथमिकता दी थी।
-बाबा साहब के जीवन के बारे में जानकर सभी को, खासकर युवाओं को, बहुत प्रेरणा मिलती है। कदम-कदम पर अभाव, अपमान और अड़चनों का सामना करते हुये वंचित समाज के एक बालक ने दुनियां के सबसे सम्मानित विश्वविद्यालयों में असाधारण विद्यार्थी के रूप में सम्मान अर्जित किया।
-बाबा साहब ने अपने सार्वजनिक जीवन में सदैव अहिंसा और करुणा का मार्ग चुना। जिन मुद्दों पर बाबा साहब को आम जनता का हित दिखता था, उन मुद्दों को वे हमेशा अहिंसा के रास्ते पर चलकर आगे बढ़ाते रहे और अन्ततोगत्वा उन्हें सफलता भी मिली।
-बाबा साहब का कहना था कि यह देश अपना है, यहां के सब लोग अपने हैं और समाज के कमजोर वर्गों को न्याय दिलाने हेतु जो भी करना है, वह सब सदैव अहिंसात्मक तरीकों से ही व्यापक हित में हासिल किया जा सकता है, ताकि समाज में हमेशा सौहार्द का वातावरण बना रहे।
-संविधान सभा में दिये गए अपने अंतिम भाषण में बाबा साहब ने कहा था कि अब हमारे पास विरोध व्यक्त करने के संवैधानिक तरीके मौजूद हैं, इसलिए हमें अराजकता से बचना चाहिए।
-देश की हर समस्या के बारे में, चाहे वह समस्या समाज के किसी भी वर्ग से संबंधित हो, उन सभी विचारों में बाबा साहब सदैव महात्मा गौतम बुद्ध के उपदेशों का विशेष रूप से अहिंसा एवं करुणा का, अक्षरश: पालन करते रहे।