बंदरगाहों पर खेती के उपकरण रोकना चीन को नहीं भारत को करेगा प्रभावित: गडकरी

चीन से आयात के लिए सीमा शुल्क निकासी में देरी पर चिंता जाहिर करते हुए परिवहन और एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने वित्त और वाणिज्य मंत्रियों को पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने बंदरगाहों पर माल की त्वरित निकासी में आ रही बाधाओं को दूर करने का आग्रह किया। उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि ये शिपमेंट उद्योगपतियों द्वारा किए गए भुगतान के आधार पर भारतीय तटों तक पहुंच गए हैं।
उन्होंने एक वेब-प्लेटफॉर्म को बताया कि इन आयातित सामानों की निकासी में होने वाली देरी से भारतीय उद्योगपति आहत होंगे, न कि चीन। गडकरी ने कहा, ‘हमारा ध्यान आयात को कम करने पर है और ऐसा करने के लिए हम आयात शुल्क बढ़ा सकते हैं। लेकिन पहले से ही आयातित वस्तुओं को रोककर रखने से हमारे उद्यमियों को बहुत बड़ा नुकसान होगा।’
केंद्रीय मंत्री ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखा। दरअसल, उनसे मिलने के लिए किसान संगठन का प्रतिनिधिमंडल आया था जिन्होंने बताया कि कैसे सीमा शुल्क निकासी में देरी हुई। संगठन ने गडकरी को बताया कि कैसे यांत्रिक स्प्रे और उनके स्पेयर पार्ट्स की खेप के लिए सीमा शुल्क निकासी में देरी हो रही है। इन्हें कीटनाशक नियंत्रण के लिए उपयोग किया जाता है।
कोविड-19 महामारी के कारण छिड़काव करने वाले उपकरणों को शहरी क्षेत्रों में भेज दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप खेतों में इन उपकरणों की कमी हो गई। नतीजतन, कंपनियों ने उपकरण आयात करने का फैसला किया जो बंदरगाहों पर रुके हुए हैं क्योंकि सीमा शुल्क अधिकारियों ने चीन से भेजी गई खेपों की 100 प्रतिशत जांच करने का फैसला किया है।
सीतारमण और गोयल को लिखे अपने पत्र में परिवहन और एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने आयातित कृषि उपकरणों को मंजूरी देने में प्राथमिकता की मांग की है। हालांकि उन्होंने किसी भी देश का नाम नहीं लिया है जहां से ऐसी वस्तुओं का आयात किया जा रहा है, लेकिन इस तरह के अधिकांश छिड़काव उपकरण चीन से आते हैं।




