गुरदासपुर। फंड की कमी से सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण भारत-पाकिस्तान में बहने वाले रावी दरिया के सेटेलाइट सर्वेक्षण का काम ठप पड़ा है। पिछले ढाई वर्ष में एक बार भी सर्वेक्षण नहीं हुआ है। पाकिस्तानी तस्करों व घुसपैठियों के लिए रावी नदी सुगम रास्ता रहा है। हाल ही में दीनानगर थाने पर हमले के बाद एक जांच एजेंसी ने बताया था कि हमलावरों के जीपीएस से जाहिर हुआ है कि वह रावी नदी से होकर ही भारत में घुसे होंगे।

नदी के सेटेलाइट सर्वे से यह जानकारी मिलती कि दरिया के किनारे पाकिस्तान किस तरह की गतिविधि चला रहा है। पूर्व में सर्वे रिपोर्ट के आधार पर दरिया के आसपास जरूरी काम भी करवाया जाता रहा है। आमतौर पर मानसून के दौरान सर्वे किया जाता रहा है। नेशनल रिमोट सेसिंग एजेंसी (एनआरएसए) हैदराबाद द्वारा सर्वे किया जाता था। केंद्र व राज्य सरकार की ओर से फंड जारी किया जाता था।

1973 से भारत-पाकिस्तान रावी का बहाव एक-दूसरे की ओर मोड़ने के लिए करोड़ों बहा चुके हैं। रावी दरिया की बाढ़ से भारत की सुरक्षा को खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि बाढ़ के कारण भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भारतीय सीमा सुरक्षा बल की चौकियां भी प्रभावित होती हैं।