नई दिल्ली। जेएनयू मामले में पटियाला हाउस कोर्ट परिसर में हुई हिंसा के बाद गठित वकीलों की 6 सदस्यीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी है। समिति ने जस्टिस एम चेलामेश्वर और जस्टिस एएम सप्रे की पीठ को गुरुवार को बंद लिफाफे में यह रिपोर्ट सौंपी। इसके अलावा पैनल द्वारा बनाई गई मोबाइल क्लिप का वीडियो भी पेन ड्राइव में सौंपा गया है। हालांकि रिपोर्ट सौंपने के बाद ही समिति के सदस्य राजीव धवन ने आरोप लगाए कि पटियाला हाउस कोर्ट में हिंसा पुलिस की मिलीभगत की वजह से हुई। हालांकि दिल्ली पुलिस के वकील अजित कुमार सिन्हा ने रिपोर्ट पर बिना पढ़े हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया।
काउंसिल ऑफ इंडिया ने जांच के लिए समिति गठित की
याद रहे कि कोर्ट परिसर में कुछ वकीलों ने पत्रकारों, जेएनयू छात्रों के अलावा देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार के साथ मारपीट की थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने धवन के अलावा, कपिल सिब्बल, दुष्यंत दवे, हरेन रावल, प्रशांत और एडीएन राव को मौके पर जाकर ग्राउंड रिपोर्ट तैयार करने को कहा था। धवन और दवे ने रिपोर्ट को मीडिया के साथ साझा करने का भी प्रस्ताव दिया और सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अपनी रजामंदी भी दे दी, लेकिन एडिशन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की आपत्ति के बाद इसे सर्वोच्च अदालत द्वारा पढ़े जाने तक रोक दिया गया। इस बीच बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है। काउंसिल के अध्यक्ष मनन कुमार ने कहा है कि दोषी वकीलों का लाइसेंस रद्द किया जाएगा।
प्रदर्शन जारी
इस बीच नई दिल्ली में छात्रों के विरोध प्रदर्शन का दौर जारी रहा। गुरुवार को जेएनयू छात्रों ने कन्हैया के समर्थन में मंडी हाउस से जंतर-मंतर तक मार्च निकाला।
गिलानी 14 दिन की न्यायिक हिरासत में
प्रेस क्लब में देश विरोधी नारे लगने के सिलसिले में गिरफ्तार दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर एसएआर गिलानी को पटियाला हाउस अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
राष्ट्रद्रोह कानून पर पुनर्विचार की जरूरत है। अभी हमें इंतजार करना होगा। देखें शीर्ष अदालत इस पर क्या फैसला करती है। जरूरत पडऩे पर विधि मंत्रालय समिति गठित कर इस मुद्दे पर रिपोर्ट तैयार करेगी। पटियाला हाउस कोर्ट में वकीलों की हरकत निंदनीय है।
डीवी सदानंद गौड़ा, केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री
रजिस्ट्रार जनरल की भी नहीं सुनी
राजीव धवन ने कोर्ट के बाहर कहा, मुझे इसमें कोई शक नहीं है कि इसमें पुलिस भी मिली हुई थी। जैसे ही कोर्ट पहुंचे, तो हमें बताया गया कि एक ऐसा व्यक्ति कोर्ट परिसर में घुस आया है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने बैन लगा रखा है। वह भीतर आया और आराम से बाहर भी चला गया। हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने बोला, उस आदमी को रोको, गिरफ्तार करो! लेकिन वहां खड़े 8-10 पुलिसवालों ने इसे अनसुना कर दिया।