पाकिस्तान में आतंकियों की फांसी में अदालत का रोड़ा
इस्लामाबाद। राष्ट्रपति द्वारा दया याचिकाएं खारिज किए जाने के बाद 55आतंकियों को फांसी पर लटकाने की तैयारी कर रही पाकिस्तान सरकार को अदालत ने झटका दिया है। लाहौर हाई कोर्ट ने सात 2012 में पंजाब प्रांत के गुजरात में सैन्य कैंप पर हमले के पांचदोषियों की फांसी पर रोक लगा दी है। प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने इस फैसले को रद करने के लिए कानूनी कदम उठाने को कहा है।न्यायमूर्ति अरशद महमूद तबस्सुम ने पांचों आरोपियों में से एक के वकील लईक खान स्वाति की याचिका पर यह फैसला सुनाया। वकील ने अपनी याचिका में कहा कि उनके मुवक्किल एहसान आजिम को आवेदन करने के बावजूद चार्जशीट, सुबूतों की जानकारी, सुनवाई की कार्यवाही समेत मामले से जुड़ी कोई जानकारी नहीं मुहैया कराई गई। कामरान, उमर नदीम, एहसान अजीम, आमिर यूसुफ और आसिफ इदरिस को एक सैन्य अदालत ने फांसी की सजासुनाई थी। प्रधानमंत्री के प्रवक्ता ने बताया कि उन्होंने मामले का संज्ञान लेते हुए अटॉर्नी जनरल को फैसला रद करने की दिशा में कानूनी कदम उठाने के लिए कहा है। उधर, मौत की सजा पाए दो आरोपियों मोहम्मद आजम और अताउल्ला अलियास अब्दुल्लाहोफ के परिजनों ने सिंध हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रपति मनमून हुसैन ने फांसी की सजा पाए करीब 500 आतंकियों में से 55 की दया याचिकाओं को खारिज कर दिया है जिससे इनको फांसी पर लटकाने का रास्ता साफ हो गया है। 2012 से यहां कई दया याचिकाएं लंबित हैं क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने 2008 में मृत्युदंड पर लगी रोक के कारण किसी भी याचिका पर विचार से इंकार कर दिया था।
ठुकराया रूस का आग्रह
पाकिस्तान ने रूसी नागरिक अखलाक अहमद की मौत की सजा टालने संबंधी रूस के आग्रह को ठुकरा दिया है। पाकिस्तान में रूस दूतावास ने अपने बयान में कहा, ‘रूस सरकार ने अखलाक की सजा पर पुनर्विचार के लिए पाकिस्तान से कई बार आग्रह किया था।’ रूसी नागरिक अखलाक के पास पाकिस्तान की भी नागरिकता थी। वह मुशर्रफ पर हुए हमले का दोषी है।
फांसी पर लटकेगा पूर्व वायुसेना अधिकारी
2003 में पूर्व पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ पर हुए हमले के आरोपी पाकिस्तान के पूर्व वायुसेना अधिकारी को रावलपिंडी की आदियाला जेल में फांसी दी जाएगी। खालिद महमूद वायुसेना के साथ तकनीशियन के रूप में जुड़ा था। अभी फांसी की कोई तारीख स्पष्ट नहीं की गई है।