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सूरत (जेएनएन)। सूरत की टेक्सटाइल इंडस्ट्री से करीब 10 लाख लोग जुड़े हैं। लेकिन 8 नवंबर के बाद से यह भी बंद होने की कगार पर पहुंच गई है। कैश की किल्लत ने टेक्सटाइल यूनिट्स को हफ्ते में तीन दिन बंद रहने को मजबूर कर दिया और केवल रात की पाली में ही काम हो पा रहा है। इंडस्ट्री को संकट से उबारने के लिए गुजरात टेक्सटाइल फेडरेशन ने कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी से मदद मांगने का निर्णय लिया है।

इंडस्ट्री को 80 फीसद नुकसान

सूत्रों की मानें तो नोटबंदी के बाद से इस इंडस्ट्री को करीब 80 फीसद का नुकसान हो चुका है। टेक्सटाइल बिजनेस का सालाना टर्नओवर करीब 350 करोड़ रुपये है। इस संकट से इंडसट्री को उबारने के लिए साउथ गुजरात टेक्सटाइल फेडरेशन कपड़ा मंत्री स्मृति इरानी से मदद की दरख्वास्त करेगी। स्मृति ईरानी शनिवार को गुजरात आ रही हैं।

बड़ी है टेक्सटाइल मार्केट

सूरत में 165 से अधिक टेक्सटाइल मार्केट है, 65,000 टेक्सटाइल ट्रेडिंग की दुकानें, 350 टेक्सटाइल प्रोसेसिंग हाउस व 6 लाख से अधिक पावरलूम मशीनें हैं। 31 अक्टूबर को दीवाली के अवसर पर ये यूनिट बंद थीं। सूत्रों के अनुसार, छुट्टी के बाद मशीनों को दोबारा से काम करने लायक बनने में दो से तीन दिन लग जाते हैं।

दो किश्तों में आती है पगार

टेक्सटाइल प्रोसेसिंग हाउसेज के डाईंग और प्रिंटिंग यूनिट, पावरलूम सेक्टर और पैकेजिंग में बड़ी संख्या में कर्मचारी हैं। इनमें काम करने वालों में अधिकतर लोग आंध्र प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश के हैं। इन्हें एक दिन की पगार के रूप में 200 रुपये दिए जाते हैं और यदि रात में काम करते हैं तो दोगुना पैसे दिए जाते हैं। यह वेतन माह में दो किश्तों में आते हैं।

कैश की किल्लत

साउथ गुजरात टेक्सटाइल प्रोसेसिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष, जीतू वखारिया ने कहा, ‘मौजूदा हालात को देखते हुए हम इस स्थिति में नहीं हैं कि कामगारों को 500 और 1000 रुपये के नोटों के बिना वेतन दे सकें। कुछ फैक्ट्री मालिक 500 और 1000 नोटों को अपनी पुरानी बचत की राशि में से हटाकर उपयोग में ला रहे हैं जबकि कुछ ने तो 100 और 50 रुपये के नोटों को महंगी कीमत पर खरीदा है। लेकिन अधिकांश के पास पर्याप्त कैश नहीं है जिससे वे प्रतिदिन के खर्चे उठा सकें और फैक्ट्री को चला सकें।‘ उन्होंने आगे बताया कि कुछ वर्कर तो काम पर आ नहीं पा रहे क्योंकि वे बैंकों में लाइन में लगे हैं और कुछ अपने घर वापस लौट गए। इसलिए प्रोसेसिंग हाउसेज में काम हफ्ते में तीन या चार दिन ही हो पा रहा।

घटा उत्पादन

वखरिया ने बताया कि पुराने नोटों में वेतन देने के मामले में कई फैक्ट्री मालिकों व वर्करों के बीच विवाद की बात भी सुनने को मिली। उन्होंने बताया, ’प्रोसेसिंग हाउसेज में प्रतिदिन उत्पादन करीब 4 लाख करोड़ मीटर है जो अब 1 करोड़ मीटर पर आ गयी है। कामगार अपने पुराने 500 के नोटों को बदलने के लिए भी छुट्टी ले रहे हैं। उन्होंने जोर दिया कि 500 रुपये के नोट इंडस्ट्री के लिए जरूरी है क्योंकि वर्कर 2000 रुपये वाले नोट लेने से इंकार करते हैं। हम कपड़ा मंत्री से इस बात की दरख्वास्त करेंगे कि टेक्सटाइल इंडस्ट्री को चलाने के लिए कुछ इंतजाम करा दें।‘