नोएडा एक्सटेंशन में हुए जमीन अधिग्रहण पर अपना फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फ्लैट खरीदने वालों को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखते हुए किसानों की जमीन लौटाने से मना कर दिया है। इसी के साथ ही इस मामले में दाखिल सभी याचिकाओं को भी खारिज कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से लगभग 2 लाख बायर्स को फायदा होगा।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2011 में नोएडा एक्सटेंशन में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को गलत माना था लेकिन कोर्ट ने यहां हो चुके निर्माण को देखते हुए किसानों को जमीन लौटाने का आदेश देने से मना कर दिया था। हाईकोर्ट ने ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को किसानों को लगभग 64.7 फीसदी बढ़ा हुआ मुआवजा और 10 फीसदी विकसित भूमि देने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अथॉरिटी और किसान दोनों ही सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।

किसानों ने नोएडा एक्सटेंशन में किए गए भूमि अधिग्रहण को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी जिसमें कहा गया था कि उनसे औद्योगिक इस्तेमाल के नाम पर आपातकालीन क्लॉज लगाकर जमीन ली गई लेकिन बाद में जमीन बिल्डरों को सौंप दी गई थी। किसानों का कहना था उन्हें उनकी जमीन वापस मिलनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट इस मामले में पहले ही ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को बढ़ा हुआ मुआवजा और विकसित भूमि देने के हाईकोर्ट के आदेश पर कोई भी राहत देने से इनकार कर चुका था। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने किसानों से यह पूछा था कि जब उन्होंने मुआवजा स्वीकार कर लिया तो जमीन वापस मांगने का औचित्य क्या है? गौरतलब है कि नोएडा एक्सटेंशन में कई प्रोजक्ट का निर्माण हो रहा है जिसमें 2 लाख से ज्यादा लोगों ने फ्लैट बुक कर रखे हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के जमीन न लौटाने के फैसले को नोएडा एक्सटेंशन में फ्लैट बुक कराने वालों के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है।

नोएडा और ग्रेटर नोएडा में कुल 65 गांव हैं। इन गांवों में किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था। इनमें से कुछ किसान ने बढ़ा हुआ मुआवजा लेने से मना कर दिया था और शीर्ष अदालत में जमीन लौटाने की मांग की थी। इस फैसले के बाद लंबे समय से नोएडा एक्‍सटेंशन को लेकर चला आ रहा विवाद खत्‍म हो गया है। इस फैसले से न सिर्फ बिल्‍डर और बायर्स को फायदा मिला है बल्कि किसानों और अथॉरिटी को भी फायदा हुआ है। किसानों को बढ़े हुए मुआवजे और विकसित भूखंड को बरकरार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। वहीं, कोर्ट के फैसले के बाद खरीददारों के मन में चला आ रहा संशय भी खत्‍म हो गया है। अब इस क्षेत्र का विकास और तेजी से होगा।