दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में भूकंप के झटके, सहमे लोग घरों से बाहर निकले

नई दिल्ली । दिल्ली-एनसीआर सहित उत्तर भारत के कई हिस्सों में बुधवार दोपहर भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप बुधवार 12.35 मिनट पर आया और कई जगहों पर लोगों ने पांच मिनट तक झटके महसूस किए।

जानकारी के मुताबिक, भूकंप के झटके दिल्ली-एनसीआर, यूपी, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और दूसरे राज्यों में भी महसूस किए गए हैं। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.0 मापी गई है, वहीं भूकंप का केंद्र पड़ोसी देश अफगानिस्तान (हिंदूकुश) में था। जानकारी सामने आ रही है कि भूकंप धरती के 190 किलोमीर भीतर था और यहां पर अफगानिस्तान और ताजिकिस्तान की सीमा लगती है।

गुजरात, कश्मीर, दिल्ली समेत कई राज्यों में लगे झटके

कश्मीर घाटी में बुधवार को भूकंप के झटकों से जमीन के अचानक हिल जाने से सनसनी फैल गई। फिलहाल, भूकंप में किसी प्रकार के जान माल का नुक्सान होने की जानकारी नहीं मिल पाई है।

आज वादी में लोग अपनी सामान्य दिनचर्या में व्यस्त थे कि दोपहर 12.35 बजे भूकंप के तीव्र झटकों से जमीन हिलने लगी। करीब पांच सैकेंड तक भूकंप के झटके महसूस हुए। भूकंप दो बार आया। पहली बार झटका धीमा और मात्र दो सैकेंड का रहा जबकि दूसरा भूकंप करीब दो मिनट बाद शुरु हुआ और पांच सैकेंड तक महसूस होता रहा।

भूकंप के झटकों से लोग पूरी तरह सहम गए और अपनी जान बचाने के लिए खुली जगहों की तरफ दौड़े। सड्कों पर वाहनों की आवाजाही भी थम गई। भूकंप जब शांत हो गया तो लोगों की जान में जान आई और सामान्य जनजीवन बहाल हुआ।

इन झटकों के बाद लोगों में भय का माहौल पैदा हो गया। लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकल गए हैं। दफ्तरों में काम कर रहे लोग भी सुरक्षा के लिहाज से सड़कों पर आ गए।

बता दें कि राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली अधिक तीव्रता वाले जोन 4 में आती है वहीं, भूकंप की दृष्टि से उत्तराखंड के उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, चमोली, रुद्रपयायग, बागेश्वर जोन पांच जबकि नैनीताल, अल्मोड़ा जोन चार में हैं। इसके अलावा नार्थ अल्मोड़ा थ्रस्ट से रामेश्वर, घाट, सरयू, भैंसियाछाना, सेराघाट, द्वाराहाट, श्रीनगर आदि से गुजरती है।

बड़े भूकंप का खतरा नहीं झेल पाएगी दिल्ली

बता दें कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र की एक बड़ी समस्या आबादी का घनत्व भी है। तकरीबन दो करोड़ की आबादी वाली राजधानी दिल्ली में लाखों इमारतें दशकों पुरानी हैं और तमाम मोहल्ले एक दूसरे से सटे हुए बने हैं। ऐसे में बड़ा भूकंप आने की स्थिति में जानमाल की भारी हानि होगी।

वैसे भी दिल्ली से थोड़ी दूर स्थित पानीपत इलाके के पास भूगर्भ में फॉल्ट लाइन मौजूद है जिसके चलते भूकंप की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

खतरनाक हैं दिल्ली की 70-80% इमारतें 

विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि दिल्ली में भूकंप के साथ-साथ कमज़ोर इमारतों से भी खतरा है। एक अनुमान के मुताबिक, दिल्ली की 70-80% इमारतें भूकंप का औसत से बड़ा झटका झेलने के लिहाज़ से डिज़ाइन ही नहीं की गई हैं।

बताया गया है कि पिछले कई दशकों के दौरान यमुना नदी के पूर्वी और पश्चिमी तट पर बढ़ती गईं इमारतें ख़ास तौर पर बहुत ज़्यादा चिंता की बात है क्योंकि अधिकांश के बनने के पहले मिट्टी की पकड़ की जांच नहीं हुई है।