शिवपुरी। जिला अस्पताल में तीन दिन पहले जन्मे एक बच्चे को सोमवार सुबह एसएनसीयू में डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। दुखी परिजन शव दफनाने श्मशान घाट पहुंचे, जहां अचानक बच्चे की सांसें लौट आईं। परिजन बच्चे को वापस जिला अस्पताल ले आए और डॉक्टरों को घटनाक्रम बताया।

डॉक्टरों ने फिर से उसका चेकअप किया। बच्चा जिंदा था। उसे एसएनसीयू में भर्ती किया गया है।

करैरा के गधाई निवासी कल्पना (23) पत्नी गजानन रावत ने तीन दिन पहले जिला अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया था। कल्पना की मां के अनुसार बच्चे का जन्म 590 ग्राम के करीब था। उसे इलाज के लिए एसएनसीयू में भर्ती कराया गया। पिछले दो दिन से उसका इलाज चल रहा था।

सोमवार सुबह बच्चे को एसएनसीयू में तैनात ड्यूटी डॉक्टर प्रियंका बंसल ने मृत घोषित कर दिया। परिजन श्मशान घाट दफनाने पहुंचे। इसी दौरान बच्चे ने कुछ हलचल की और मुंह खोल दिया। वह सांसें ले रहा था। वह बच्चे को वापस अस्पताल लेकर पहुंचे। ड्यूटी पर मौजूद डॉ. सुनील गौतम ने चेकअप के बाद उसे एसएनसीयू में इलाज के लिए भर्ती कर लिया।

बच्चे में जिंदा होने का कोई प्रमाण नहीं था

डॉ. प्रियंका बंसल का कहना है कि चेकअप के दौरान बच्चे में जीवन के कोई प्रमाण नहीं मिले। उसकी सांसें व धड़कन थम चुकी थी। चूंकि बच्चा महज 500 ग्राम का है, ऐसे में उसकी हालत बेहद नाजुक बनी हुई है।

मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं

बच्चे की मां कल्पना का कहना है कि जब पता चला कि बच्चा जीवित है तो मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। भगवान ने मेरी सारी खुशियां मुझे एक पल में लौटा दीं।

यह बात सही है कि बच्चे का चेकअप किया गया तो उसमें सांस और धड़कन थी ही नहीं। कुछ देर बाद जब उसके परिवार वाले उसे लौटाकर लाए तो उसकी सांसें लौट आईं थीं। शिशु की हालत अभी भी नाजुक है। कभी-कभी ऐसा होता है कि बच्चा सांस रोक लेता है और उसमें जीवन के कोई प्रमाण नजर नहीं आते। इस पूरी घटना का कोई विशेष नाम तो नहीं है, लेकिन कभी-कभी ऐसा हो जाता है।