तेलंगाना को लेकर संसद के दोनों सदनों में सोमवार को भरपूर हंगामा होने के आसार हैं. तेलंगाना के खिलाफ सीमांध्र के सांसदों का विरोध लगातार जारी है. इन सांसदों ने धमकी दी है कि वे संसद नहीं चलने देंगे.तेलंगाना बिल कैबिनेट से पास हो चुका है. सरकार का इसी सत्र में बिल पास कराने पर जोर है. वैसे संसद में हंगामे की वजह से कई अहम बिल पहले से ही अधर में लटके हैं.

बिल पेश करने के लिए राष्‍ट्रपति की मंजूरी जरूरी
संसद में तेलंगाना विधेयक पेश करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा की गई सिफारिश रविवार को प्रधानमंत्री कार्यालय के मार्फत राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भेजी जा चुकी है. आंध्र प्रदेश के विभाजन के लिए राज्य पुनर्गठन विधेयक के मंगलवार को संसद में पेश होने की संभावना है.

गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘राष्ट्रपति की मंजूरी सोमवार को मिलने की संभावना है. हम संसद में मंगलवार को विधेयक पेश करने की योजना बना रहे हैं.’

केंद्रीय कैबिनेट से मिल चुकी है मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आंध्र प्रदेश के विभाजन के जरिए तेलंगाना के गठन के लिए मसौदा विधेयक को शुक्रवार को मंजूरी दी थी. राज्य विधानसभा द्वारा विधेयक को खारिज करने के बावजूद ऐसा किया गया. इससे पहले संसदीय गलियारे में इस बात की चर्चा थी कि विधेयक के सोमवार को राज्यसभा में पेश किए जाने की संभावना है. सदन के सोमवार के कामकाज की अनुपूरक सूची में इसे शामिल किया जा सकता है.

तेलंगाना विरोधी सदस्यों के विरोध के बीच सरकार ने अभी तक इस मुद्दे पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं. तेलंगाना का विरोध करने वालों में कांग्रेस सदस्य भी शामिल हैं. यह विधेयक राज्यसभा में इसलिए पेश किया जा रहा है, क्योंकि ऐसा लगता है कि सरकार इसे लोकसभा भंग होने के बावजूद अस्तित्व में बनाए रखना चाहती है. उच्च सदन में पेश और इसके द्वारा पारित नहीं किया गया विधेयक लाइव रजिस्टर में बना रहता है.

बिल के स्‍वरूप में बदलाव नहीं 
समझा जा रहा है कि विवादास्पद विधेयक को उसी स्वरूप में राज्यसभा में पेश किया जाएगा, जैसे कि उसे आंध्र प्रदेश विधानसभा में भेजा गया था. हालांकि केन्द्र सरकार इस विधेयक को विचार के लिए रखे जाने के समय इस पर 32 संशोधन पेश करेगी.

प्रस्तावित तेलंगाना विधेयक में हैदराबाद को केन्द्र शासित प्रदेश का दर्जा प्रदान नहीं किया गया है, हालांकि इसे लेकर काफी मांग की जा रही थी. इस बिल में रायलसीमा व उत्तरी तटीय आंध्र के लिए एक विशेष पैकेज की घोषणा की जा सकती है, ताकि वहां के लोगों की चिंताओं को दूर किया जा सके. कैबिनेट ने काफी लंबे विचार-विमर्श के बाद आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक को मंजूरी दी थी. इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में पार्टी की कोर ग्रुप की बैठक हुई.

मौजूदा लोकसभा का अंतिम सेशन 
पन्द्रहवीं लोकसभा का मौजूदा सत्र अंतिम होने के कारण सरकार चाहती है कि सेशन के दौरान ही चर्चा कराकर इसे पारित करवाया जाए. सरकार ने इस विधेयक को ऐसे समय में संसद की मंजूरी दिलवाने का निर्णय किया है, जब आंध्र प्रदेश विधानसभा इसे खारिज कर चुकी है तथा कांग्रेस के सीएम किरण कुमार रेड्डी राज्य के प्रस्तावित विभाजन का विरोध कर रहे हैं. रेड्डी ने दिल्‍ली में धरना भी दिया था और राज्य के विभाजन को रोकने के लिए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात कर उनसे हस्तक्षेप करने की मांग की थी.