इंदौर: नोटबंदी के करीब छह महीने से अधिक बीतने के बाद मंगलवार को एक युवक पांच लाख रुपये के अमान्य नोट लेकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचा और इन्हें मान्य नोटों से बदलने में मदद की गुहार की. प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि कलेक्टर कार्यालय परिसर में जन सुनवाई (आम लोगों की समस्याएं दूर करने के लिए प्रशासन की साप्ताहिक गतिविधि) के दौरान नीलेश सोलंकी ने कलेक्टर पी नरहरि के सामने 500 और 1000 के बंद नोटों की गड्डियां रख दीं. इनमें हजार रुपये के 205 बंद नोट शामिल हैं, जबकि 590 अमान्य नोट 500 रुपये के हैं. युवक ने कलेक्टर से कहा कि वह करीब पांच लाख रुपये के इन बंद नोटों को तय समय-सीमा में कुछ कारणों से बदलवा नहीं सका. लिहाजा इन्हें बदलवाने में उसकी मदद की जाए. नरहरि ने संवाददाताओं से कहा कि मामला पहली नजर में संदेहास्पद लग रहा है और वह इसकी जांच करा रहे हैं. जांच के बाद मामले में उचित कदम उठाया जाएगा.

8 नवंबर 2016 को की गई विमुद्रीकरण की घोषणा  गौरतलब है कि भारत के 500 और 1000 रुपये के नोटों के विमुद्रीकरण की घोषणा 8 नवंबर 2016 को रात आठ बजे पीएम मोदी द्वारा अचानक राष्ट्र को किए गए संबोधन के द्वारा की गई थी. यह संबोधन टीवी के द्वारा किया गया. इस घोषणा में 8 नवंबर की आधी रात से देश में 500 और 1000 रुपये के नोटों को खत्म करने का ऐलान किया गया था. इसका उद्देश्य केवल काले धन पर नियंत्रण ही नहीं बल्कि जाली नोटों से छुटकारा पाना भी था.

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