डार्विन सिद्धांत पर केंद्रीय मंत्री के बयान से वैज्ञानिक नाराज, बयान वापस लेने की मांग

‘दुनिया भर में इसकी स्वीकार्यता है, शोध से इसकी पुष्टि भी हुई है ‘
सभी वैज्ञानिक दस्तावेज यही कहते हैं कि मानव का विकास बंदर से हुआ है और चिम्पेंजी मानव के सबसे करीबी है। बंदर से मानव के रूप में क्रमिक विकास करीब पांच करोड़ साल पहले हुआ। ऐसे में इसके किसी प्रत्यक्षदर्शी और उनके ग्रंथों का उपलब्ध होने का सवाल ही नहीं उठता है। डार्विन का विकास सिद्धांत ऐसा वैज्ञानिक तथ्य है जिसने कई भविष्यवाणियां की हैं और इनकी बार-बार प्रयोगों और अवलोकनों के जरिए पुष्टि हुई है।
ऑनलाइन खत लिखकर सत्यपाल सिंह से बयान वापस लेने की मांग की
इन वैज्ञानिकों ने केंद्रीय मंत्री ने अपने बयान को वापस लेने और इस पर खेद जताने की भी मांग की है। ऑनलाइन खत पर 3000 से ज्यादा लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं। इसमें कहा गया है कि मंत्री के दावे से हम वैज्ञानिकों, वैज्ञानिक समुदाय और लोगों को काफी दुख पहुंचा है। इन सभी ने इसके बच्चों के दिमाग पर गलत असर पड़ने की चिंता जताई है।
वैज्ञानिकों ने कहा कि स्कूल-कॉलेज के पाठ्यक्रम में बदलाव करना पीछे ले जाने वाला कदम होगा। सत्यपाल सिंह ने एक कार्यक्रम में कहा था कि डार्विन का सिद्धांत गलत था क्योंकि हमारे पूर्वजों ने इसका कहीं भी जिक्र नहीं किया है कि उन्होंने बंदर को मानव में बदलते हुए देखा था।




