जैश-लश्कर के मुख्यालय थे टारगेट, बाद में बदलकर बालाकोट पर हुई एयर स्ट्राइक
सूत्रों के अनुसार, भारतीय वायुसेना के एयरस्ट्राइक को पहले बहावलपुर स्थित मुख्यालय जैश-ए-मोहम्मद और मुरिदके में लश्कर-ए-तैयबा के मुख्यालय को तबाह करना था, लेकिन इन क्षेत्रों में घनी आबादी और हमले के बाद पाकिस्तानी वायुसेना की ओर से जवाबी कार्रवाई से बड़ी संख्या में आम लोगों के मारे जाने की आशंका को देखते हुए इस योजना में बदलाव किया गया. योजना में बदलाव के बाद बालाकोट को एकमात्र लक्ष्य बनाया गया.
पाक के मानेसरा जिले में स्थित बालाकोट कैंप में बहावलपुर और मुरिदके की तुलना में कम आबादी रहती है और यहां पर हमले में आम लोगों के हताहत होने की संभावना भी काफी कम थी. चूंकि बालाकोट कैंप एक पहाड़ी पर बनाया गया था और एयर स्ट्राइक से आम लोगों की जान-माल को खतरा कम था.
सूत्रों के अनुसार, भारतीय वायुसेना ने अपने ऑपरेशन को बेहतर तरीके से अंजाम दिया. वायुसेना (आईएएफ) के 2 फाइटर जेट ने लाहौर-स्यालकोट बॉर्डर और ओकारा-बहावलपुर सेक्टर पर पाकिस्तानी वायुसेना को उलझाए रखा. जबकि एक तीसरा जेट पाकिस्तान अधिकृत सीमा केरान-अथामुकम बॉर्डर पर उड़ता रहा.
भारतीय सेना के 12 मिराज विमान मंगलवार सुबह 3 बजे पाकिस्तानी जमीन में दाखिल हुए. 12 मिराज ने पाकिस्तान के अशांत कहे जाने वाले खैबर पख्तुनख्वा प्रांत के बालाकोट में बमबारी कर आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े प्रशिक्षण शिविर को ध्वस्त कर दिया. नियंत्रण रेखा से करीब 80 किलोमीटर दूर भारतीय सेना की ओर से किए गए इस एयर स्ट्राइक हमले में ‘बड़ी संख्या में’ आतंकवादी, प्रशिक्षक और वरिष्ठ कमांडर मारे गए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल, वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ इस ऑपरेशन की निगरानी कर रहे थे. 25 फरवरी की शाम को इस ऑपरेशन को अंतिम रूप दिया गया. ऑपरेशन में शामिल हर व्यक्ति के मोबाइल फोन बंद करा दिए गए थे. हमले से पहले बरेली स्थित एयरबेस में तैनात सुखोई 30 को स्टैंड बाय पर तैयार रहने को निर्देश दिया गया और ऑपरेशन के दौरान मिराज को कवर करने को कहा गया.