सीतारमण ने कहा कि क्या सोनिया गांधी के मानवाधिकार केवल कुछ लोगों के लिए आरक्षित हैं?

नई दिल्ली. नागरिकता कानून के विरोध में देशभर के कई विश्वविद्यालयों में छात्रों का हिंसक प्रदर्शन जारी है। इसे लेकर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को भाजपा सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने राजनीतिक फायदे के लिए अपने ही लोगों के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। इसका जबाव देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सोनिया गांधी घड़ियाली आंसू बहा रही हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासन में तो दिल्ली के एक केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्रों को तिहाड़ जेल भेजा गया था। पुलिस उस समय विश्वविद्यालय में गई थी और पूरे शैक्षणिक वर्ष को अमान्य घोषित कर दिया गया था।

सीतारमण ने कहा कि सोनिया गांधी की सरकार पर टिप्पणी गैर-जिम्मेदाराना और राजनीति से प्रेरित है। दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में पुलिस की कार्रवाई और छात्रों पर हुई हिंसा का आरोप सोनिया ने मोदी सरकार पर लगाया है। उन्होंने कहा कि ध्रुवीकरण की इस पटकथा के लेखक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह हैं।

‘2003 में कांग्रेस अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के पक्ष में थी, अब क्या हुआ’

सीतारमण ने सवाल किया कि 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान हिंसा के दोषियों को दंडित करने के लिए कांग्रेस ने क्या किया? 2003 में संसद में कांग्रेस नेता और तब प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह ने बांग्लादेशी अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने में उदार होने के लिए कहा था। इस पर सीतारमण ने कहा कि क्या कांग्रेस अध्यक्ष और उनकी पार्टी ने अब अपना रुख बदल दिया है।

‘मानवाधिकार कुछ लोगों के लिए आरक्षित’

सीतारमण ने कहा कि क्या सोनिया गांधी के मानवाधिकार केवल कुछ लोगों के लिए आरक्षित हैं? क्या उन पीड़ित हिंदू बंगालियों के लिए नहीं हैं जो यहां भागकर आए हैं और दशकों से कैंपों में रह रहे हैं। एक जिम्मेदार विपक्षी पार्टी होने के नाते उन्हें सभी से शांति बनाए रखने के लिए कहना चाहिए, न कि हिंसा भड़काने के लिए।