जब कोई समाधान नहीं तो आपके हाथ से खत्म क्यों करें भूख हड़ताल
नीमच। जब आप हमें समाधान का कोई आश्वासन नहीं दे रहे हैं तो भूख हड़ताल आपके हाथों खत्म क्यों करें। भूख हड़ताल खत्म करना ही है तो हम किसान नेता अमृतराम पाटीदार के हाथों से खत्म करेंगे। इन तीखे शब्दों के साथ अफीम किसानों ने उन जनप्रतिनिधियों से संवाद किया जो उनकी भूख हड़ताल खत्म कराने पहुंचे थे।
राजस्व कॉलोनी स्थित नारकोटिक्स उपायुक्त कार्यालय के बाहर 9 अफीम किसान 10 अक्टूबर से भूख हड़ताल पर बैठे थे। वे नई अफीम नीति में बदलाव और किसानों की मांगों को शामिल करने की मांग पर अड़े थे, लेकिन सोमवार तक उनकी मांगों का कोई समाधान नहीं निकला। भूख हड़ताल के 17वें दिन सांसद सुधीर गुप्ता से दूरभाष पर हुई चर्चा के बाद अफीम किसान भूख हड़ताल खत्म करने पर राजी हुए। उनकी मांग पर विधायक दिलीपसिंह परिहार, जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अध्यक्ष मदनलाल राठौर, नपाध्यक्ष राकेश जैन, भाजपा नेता संतोष चौपड़ा व जिला पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि मेहरसिंह जाट राजस्व कॉलोनी पहुंचे। जनप्रतिनिधियों ने किसानों को पानी पिलाकर भूख हड़ताल समाप्त करने की कोशिश की तो किसानों ने पूछा- हमारी समस्या के समाधान की दिशा में आपका क्या आश्वासन है? जनप्रतिनिधियों के इंकार करने पर किसान सख्त हो गए। उन्होंने दो टूक शब्दों में कह दिया जब आप समस्या के समाधान के लिए कोई आश्वासन नहीं दे सकते तो आपके हाथों भूख हड़ताल कैसे खत्म कर दें। इससे अच्छा तो हम अपने साथियों व किसान नेताओं के हाथों से भूख हड़ताल समाप्त करेंगे। दोपहर करीब 3.30 बजे किसान नेता श्री पाटीदार के हाथों पानी और चाय पीकर किसानों ने भूख हड़ताल समाप्त की। किसानों के रुख पर विधायक श्री परिहार ने कहा कि आपने बुलाया था तो हम आए हैं। आप किसके हाथों भूख हड़ताल समाप्त करना चाहते हो यह आप ही सुनिश्चित कर लो।
जनप्रतिनिधियों के साथ ली चुस्की
भूख हड़ताल स्थल पर अफीम किसानों ने जनप्रतिनिधियों के साथ चाय की चुस्की ली और भूख हड़ताल समाप्त कर दी। इसके बाद उन्होंने मांगों के संबंध में जनप्रतिनिधियों से चर्चा की और किसान हित में आवाज उठाने की गुजारिश की।
28 को दिल्ली जाएंगे अफीम किसान
चुनिंदा अफीम किसान 28 अक्टूबर को जनप्रतिनिधियों के साथ दिल्ली जाएंगे। संभवतः सांसद के नेतृत्व में वे केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री व अन्य अधिकारियों से मिलेंगे।
ये थे भूख हड़ताल पर
धन्नालाल भाटी (सूठी), रामलाल डांगी (गरनोई), देवीकिशन (कंजार्डा) व निर्मल मीणा (गरनोई), ताराचंद्र पाटीदार (राकोदा), राधेश्याम मीणा (दारू) व रतनलाल नायक। -निप्र
यह थीं मांगें
-प्राकृतिक आपदा से साल 2013-14 में कटे पट्टों को शून्य औसत पर दिया जाए।
-प्राकृतिक आपदा, औसत कमी, गाढ़ता व अन्य कारणों से काटे गए पट्टों को बहाल किया जाए।
-प्रत्येक किसान को 10-10 आरी के पट्टे दिए जाएं।




