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गाजर का हलवा  तीन तरीके से बनाया जाता है। 

  1.  इसमें गाजर के साथ भैंस के गाढ़े दूध का इस्तेमाल होता है। खोया नहीं डाला जाता है। इस हलवा को  बनाने में समय ज्यादा लगता है। लेकिन ये सबसे लजीज होता है।
  2. इसमें गाजर के साथ थोड़ा दूध और खोया (मावा) का इस्तेमाल होता है। ये काफी रिच होता है और जल्दी बन जाता है।
  3. इस तरीके में गाजर के साथ कंडेस्ड मिल्क (मिल्कमेड) का इस्तेमाल होता है। ये भी जल्दी बन जाता है दूध अच्छे से गाजर में समा भी जाता है ।

इन तीनों तरीके में से आज मैं आपको पहले तरीके से गाजर का हलवा बनाना बताउंगी।

गाजर के हलवा  के लिए गाजर गहरे लाल रंग की और रस भरी होनी चाहिए। गाजर में रेशे नहीं हों और ये सख्त भी नहीं हो। गाजर का हलवा के लिए ‘दिल्ली गाजर’ सबसे सही होती है। संयोग से इस बार हमारे घर मे मनमाफिक लाल और स्वस्थ गाजर आई थी। जब आप गाजर का हलवा के लिए गाजर खरीदने जाएं तो इस बात का भी ख्याल रखें कि गाजर बहुत पतली नहीं हो क्योंकि इससे कद्दूकस करने में दिक्कत होगी। पतली गाजर थोड़ी फीकी भी होती है। गाजर जितनी मीठी होगी गाजर का हलवा उतना अच्छा लगेगा।

गाजर के हलवा  के लिए आपको गाजर को कद्दूकस में घिसना होगा। आप चाहें तो इसे फूड प्रोसेसेर से भी ग्रेट कर सकते हैं। लेकिन अगर खुद से कद्दूकस करेंगे तो बढ़िया लच्छेदार गाजर निकलेगी। गाजर को थोड़ा तिरछा करके कद्दूकस करें इससे गाजर के लच्छे लंबे लंबे निकलेंगे।

गाजर के हलवा में सामग्री बहुत कम लगती है फिर भी ये बेहद लजीज बनता है। बस इसके लिए आपको थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। तो आप तैयार हैं ना मेहनत का मीठा फल खाने के लिए 🙂

गाजर का हलवा के लिए सामग्री |

गाजर 500 ग्राम
दूध 500 मिली
चीनी 100 ग्राम
इलायची 6
काजू 10
बादाम 10
किशमिश 20
घी 100 ग्राम

 गाजर का हलवा कैसे बनाते हैं

गाजर का हलवा  बनाने की शुरुआत हम गाजर से ही करेंगे। गाजर को अच्छी तरह से धुल लीजिए। बाहर से इसके रेशों को भी छील लें। इसके बाद आपको गाजर को कद्दूकस करना है। गाजर को कद्दूकस करने से पहले इसके सिर के गहरे रंग के सख्त हिस्से को काटकर नहीं निकालें। कद्दूकस करते समय यही पकड़ने के लिए अच्छा रहेगा और बाद में ये बचा रह जाएगा। तो गाजर को तिरछा करके कद्दूकस कर लें।

अब एक भारी तले वाली कड़ाही में घी गर्म होने के लिए रख दें। आप चाहें तो इसके लिए नॉन स्टिक कड़ाही भी ले सकते हैं। जब घी गर्म हो जाए तो कद्दूकस की हुई गाजर को इसके ऊपर पलट दें। अब गाजर को चलाने का सिलसिला शुरू  होगा। गाजर के हलवा को लगातार आखिर तक चलाते रहना पड़ता है। तो आंच को तेज कर दीजिए और करीब पांच मिनट तक गाजर को चलाते रहिए। जब तेज आंच में गाजर का पानी करीब-करीब सूख जाए तो इसे धीमा कर दीजिए। लेकिन गाजर को चलाना मत बंद कीजिए।

करीब दस मिनट बाद आप देखेंगे कि गाजर का रंग और गाढ़ा हो गया है। इतना ही नहीं गाजर का रंग अब छूटकर कड़ाही में लगने भी लगा है। इसका मतलब है कि गाजर अब पूरी तरह से नरम पड़ गई है। अब आप गाजर के हलवा में दूध डाल दें। गाजर के हलवा में दूध और गाजर की मात्रा बराबर होती है। एक किलो गाजर में एक किलो दूध।

दूध डालने के बाद एक बार फिर गैस की आंच तेज कर दीजिए। गैस की आंच तेज करने के साथ इसको चलाने की जिम्मेदारी बढ़ गई है। कड़ाही के किनारों पर चिपक रहे सूखे दूध को भी बीच-बीच में खुरचते जाइए। करीब 15 मिनट तक चलाने के बाद दूध पूरी तरह से गाजर के साथ घुलमिल जाएगा। अब आपको दूध अलग से नहीं दिखेगा।

गाजर के हलवा में अब चीनी डाल दें। इसे फिर से एक बार चलाते रहें। अभी आपको करीब पांच मिनट तक और चलाना है। जब गाजर का हलवा सूख जाए और इसमें से सोंधी खुशबू आने लगे तो इसमें इलायची पीस करके डाल दें। गाजर का हलवा  चलाते रहें। जब ये घी छोड़ने लगे तो समझिए कि अब ये पूरी तरह से पक गया है।

गाजर का हलवा  को अब आंच से उतार लीजिए। ऊपर से कटे मेवे डालकर मिला दीजिए। कुछ मेवें को ऊपर से सजा भी दें। लीजिए अद्वितीय और लजीज गाजर का हलवा तैयार है।  फ्रिज में इसे दो दिन तक रखकर इस्तेमाल कर सकते हैं।