कोल इंडिया से 24,000 करोड़ जुटाएगी सरकार
नई दिल्लीः केंद्र सरकार अगले एक महीने में लगभग 24,000 करोड़ रुपए जुटाने के लिए कोल इंडिया में अपना 10 फीसदी हिस्सा बेचने की योजना बना रही है। मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बताया कि कंपनी की ट्रेड यूनियंस को शेयर सेल के फायदों के बारे में समझा लिया गया है। पहले सुझाव आए थे कि इस कंपनी में सरकार अपनी हिस्सेदारी 5-5 फीसदी के 2 चरणों में बेचे लेकिन अब लग रहा है कि एक ही बार में 10 फीसदी हिस्सा बेचा जाएगा। इस तरह यह इंडिया में सबसे बड़ी शेयर सेल होगी और कोल इंडिया के अक्तूबर 2010 में आए आईपीओ का रेकॉर्ड भी टूट जाएगा। तब इसने 10 फीसदी स्टेक बेचकर 15,000 करोड़ रुपए जुटाए थे। फाइनैंस मिनिस्टर अरुण जेतली ने पिछले सप्ताह कहा था कि इस फाइनैंशल ईयर के आखिरी क्वॉर्टर में डिसइनवेस्टमेंट की रफ्तार जोरदार ढंग से बढ़ाई जाएगी।
पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट की ओर से कोल ब्लॉक्स का एलोकेशन रद्द किए जाने के बाद माइन एलोकेशन पर सरकारी नीति साफ न होने और इस मुद्दे पर ट्रेड यूनियंस के विरोध के कारण कोल इंडिया में सरकारी हिस्सेदारी बेचने की योजना रुकी हुई थी। दोनों मुद्दे अब सुलझा लिए गए हैं। पहले को ऑर्डिनेंस के जरिए और दूसरे को बातचीत से।
पिछले सप्ताह कोल इंडिया के 5.5 लाख कर्मचारी हड़ताल पर चले गए थे। कोल मिनिस्टर पीयूष गोयल के बातचीत शुरू करने पर 2 दिनों में ही ट्रेड यूनियंस ने कदम पीछे खींच लिए थे। मंत्री ने उन्हें भरोसा दिया था कि उनकी चिंताओं पर गौर किया जाएगा।
मामले की जानकारी देने वाले अधिकारी ने बताया, ”कोल इंडिया के लिए रोड शो हो चुके हैं। अगर जरूरी हुआ तो हम डोमेस्टिक इनवेस्टर्स के और रोड शोज कर सकते हैं।”
शुक्रवार को बी.एस.ई. पर कोल इंडिया का शेयर 0.7 फीसदी गिरकर 375.75 रुपए पर बंद हुआ था। इस तरह इसकी मार्कीट वैल्यू 2.35 लाख करोड़ रुपए है। इसके आधार पर कोल इंडिया में 10 फीसदी हिस्सा बेचने से सरकार को करीब 23,500 करोड़ रुपए मिल सकते हैं। इस कंपनी में सरकार का 89.65 फीसदी हिस्सा है।
इस फाइनैंशल ईयर के लिए फिस्कल डेफिसिट का जो टारगेट तय किया गया था, उसका 99 फीसदी हिस्सा नवंबर में ही पूरा हो चुका था। कोल इंडिया में शेयर सेल से मिलने वाली रकम के जरिए सरकार को फाइनैंशल ईयर 2015 के लिए फिस्कल डेफिसिट को जीडीपी के 4.1 फीसदी पर रखने का टारगेट पूरा करने में आसानी होगी। फरवरी में होने वाले स्पैक्ट्रम ऑक्शन से भी करीब 1.20 लाख करोड़ रुपए सरकार को मिल सकते हैं। इस रकम का करीब एक तिहाई हिस्सा इसी वित्त वर्ष में सरकारी खजाने में जाएगा। टैक्स रेवेन्यू में जोरदार बढ़ौतरी भले ही न हो लेकिन ऑयल प्राइसेज में तेज गिरावट के कारण सब्सिड़ी पेमेंट्स में कमी आई है। वहीं फ्यूल पर सरकार ने एक्साइज ड्यूटी भी बढ़ाई है।




