भोपाल(ब्यूरो)। सांसद दिलीप सिंह भूरिया के निधन से खाली हुई रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट पर कब्जा बरकरार रखने के लिए बीजेपी अब पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया पर डोरे डाल रही है।

पिछले पखवाड़े में बीजेपी नेताओं ने भूरिया से संपर्क करने की कोशिश की। उन्हें बीजेपी का दामन थामने का संदेश भिजवाया। इस संबंध में भूरिया से जब प्रतिक्रिया मांगी गई तो वह बोले-‘कांग्रेस तो मेरे डीएनए में है, बीजेपी मुझे बदनाम कर रही है।’ इधर बीजेपी से जुड़े नेताओं का मानना है कि पार्टी हर हाल में इस सीट को जीतना चाहती है।

2014 के आम चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया ने बीजेपी के दिलीप सिंह भूरिया को सीधी टक्कर दी थी, लेकिन कम अंतर से चुनाव हार गए थे। वर्तमान में इस क्षेत्र में बीजेपी के पास दिलीप सिंह भूरिया जैसा कद्दावर लोकप्रिय आदिवासी नेता नहीं है। उनकी बेटी एवं पेटलावद विधायक निर्मला भूरिया का नाम संभावित दावेदार के रूप में पार्टी के सामने है, लेकिन बताते हैं कि इसमें निर्मला का रूझान नहीं है, वहीं उन्हें टिकट देने से पेटलावद विस सीट पर उपचुनाव की नौबत आ सकती है।

इसलिए बीजेपी के चुनावी मैनेजरों ने राजनीतिक गुणा-भाग लगाकर झाबुआ के लिए भिंड और होशंगाबाद का फार्मूला सुझाव दिया। इसमें तर्क यह दिया गया कि आदिवासी क्षेत्र में कांग्रेस के पास जो भी सबसे वजनदार नेता हो उसे ही बीजेपी में ले आओ।

पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया ने कहा कि चुनाव से पहले भाजपा उन्हें डैमेज करना चाहती है।मेरे डीएनए में सिर्फ कांग्रेस है। उन्होंने कहा कि सांसद दिलीप सिंह भूरिया की मौत भी स्वाभाविक नहीं थी। उनकी हत्या हुई है, इसकी सीबीआई से जांच कराई जाना चाहिए। भूरिया ने खुद के बीजेपी में शामिल होने की बात को सिरे से खारिज कर दिया।

भिंड-होशंगाबाद का प्रयोग

आम चुनाव के पहले बीजेपी ने होशंगाबाद-नरसिंहपुर से कांग्रेस सांसद रहे राव उदयप्रताप सिंह को बीजेपी की सदस्यता दिलवाकर चुनावी मैदान में उतार दिया था। इसी तरह भिंड में तो कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी डॉ भागीरथ प्रसाद को बीजेपी ने रातों-रात अपनी पार्टी में लाकर प्रत्याशी बना दिया था। इन सीटों पर बीजेपी विजयी रही।