आम आदमी पार्टी (आप) के भ्रष्टाचार विरोधी योद्धा अरविंद केजरीवाल के उत्थान से न केवल भारत के राष्ट्रीय राजनीतिक दल डरे हुए हैं, बल्कि जम्मू एवं कश्मीर में कुछ अलगाववादी नेताओं में भी उनका भय बना हुआ है. वे इस बात से डरे हुए हैं कि संभवत: यह पार्टी राज्य में अपना प्रभाव बना लेगी. यह बात अलगाववादी नेताओं में से एक मोहम्मदयासीन मलिक की ओर से जारी बयान से स्पष्ट है.

दिल्ली में आप की शानदार जीत के बाद जम्मू एवं कश्मीर लिबरेशन फ्रंट नेता यासीन ही वह पहले शख्स थे, जिन्होंने आप को ‘कश्मीर विरोधी’ पार्टी की उपाधि दी. यही नहीं जब आप नेता प्रशांत भूषण ने आबादी वाले क्षेत्रों में सशस्त्र बलों की मौजूदगी के बारे में जनमत संग्रह कराने का सुझाव दिया तो मलिक ने उन्हें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आदमी की उपाधि दी. वहीं, भाजपा ने उन्हें अलगाववादियों का एजेंट करार दिया.

सिर्फ यासीन मलिक ही नहीं, बल्कि सैयद अली शाह गिलानी ने भी भूषण पर निशाना साधा. यह देखने में बहुत ही दिलचस्प बात है कि क्यों जम्मू एवं कश्मीर के अलगाववादी नेता आप पार्टी से डरे हुए हैं. इन अलगाववादी नेताओं को उनके भ्रष्ट आचरण या मुख्यधारा के दलों द्वारा बनाई जगह के चलते समाज के विमुख वर्गों ने हमेशा ही दरकिनार किया है. ऐसे में अब आप के आविर्भाव और उसके राष्ट्रीय प्रभाव की वजह से जम्मू एवं कश्मीर राज्य की राजनीति में इसके प्रवेश पर एक बहस छिड़ गई है.

यही कारण है कि जब कुछ बुद्धिजीवियों और नागरिक समाज समूहों ने जम्मू एवं कश्मीर में विकल्प के रूप में आप पर चर्चा शुरू की तो अलगाववादी नेता खीझ उठे. यहां तक कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी जम्मू एवं कश्मीर में आप पार्टी की लोकप्रियता और इसके आकर्षण से सहमे दिखते हैं.