नई दिल्‍ली : करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्थी को रखा जाता है। अखंड सौभाग्य, सुख-समृद्धि से युक्‍त करवा चौथ का व्रत इस बार बुधवार यानी 19 अक्‍टूबर को है। बता दें कि हिंदू धर्म में महिलाओं अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं। सौभाग्यवती स्त्रियां एवं नवविवाहिता अपने सौभाग्य की वृद्धि के लिए इस व्रत को बड़े ही श्रद्धा एवं विश्वास के साथ करती है।

इस बार सौ साल बाद ऐसा विशेष संयोग बन रहा है जब करवा चौथ का व्रत बुधवार (गणेश भगवान व श्रीकृष्ण का दिन) को पड़ रहा है। इस दिन बुध का रोहिणी नक्षत्र, और चंद्रमा का कन्या नक्षत्र में विचरण हो रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार करवा चौथ का एक व्रत करने से सौ व्रत के बराबर का फल मिलेगा।

सुहागिन महिलाएं पूरे दिन निर्जल व्रत रख कर अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। इस दिन महिलाएं बिना अन्न तथा जल के दिनभर उपवास रखती हैं। शाम को चांद देखकर व्रत की पूरी विधि -विधान से पूजा करने के बाद व्रत को खोलती हैं। पंडितों के अनुसार, करवा चौथ की पूजा करने का सही समय इस प्रकार है। इस वर्ष चतुर्थी तिथि 18 अक्टूबर 2016 दिन मंगलवार को रात में 03 बजकर 09 मिनट पर लग रहा है। चतुर्थी में चन्द्रमा का दर्शन ही प्रमुख होता है इसी कारण करवा चौथ का पर्व 19 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। करवा चौथ की पूजा शाम को शुभ मुहूर्त्त 5.45 मिनट से 6.55 मिनट तक करना शुभ रहेगा। चंद्रोदय का समय रात्रि 8 बजकर 40 मिनट पर है। रात को चंद्रोदय होने के साथ ही चंद्र को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत समाप्त होता है।

चंद्रमा पूजन के साथ ही करवा चौथ के व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय और गणेश की आराधना भी की जाती है। चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा होती है। पूजा के बाद मिट्टी के करवे में चावल, उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री रखकर सास को दी जाती है।

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