कभी नहीं रही प्राइम मिनिस्टर बनने की चाह, राजीव गांधी कैबिनेट से हटाए जाने पर हुआ था स्तब्ध
नई दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने लंबे समय से चली आ रही इन अटकलों को सिरे से खारिज कर दिया है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद वह अंतरिम प्रधानमंत्री बनना चाहते थे। प्रणब ने इन अटकलों को गलत और द्वेषपूर्ण करार दिया है। प्रणब ने यह भी कहा कि राजीव गांधी कैबिनेट से हटाए जाने पर वह ‘स्तब्ध और अचंभित’ रह गए थे।
उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी द्वारा विमोचित मुखर्जी के संस्करण ‘द टर्बुलेंट इयर्स : 1980-96’ के दूसरे खण्ड में प्रणब ने लिखा है, ‘कई कहानियां फैलाई गई हैं कि मैं अंतरिम प्रधानमंत्री बनना चाहता था, मैंने दावेदारी जताई थी और फिर मुझे काफी समझाया-बुझाया गया था।’
प्रणब ने लिखा, ‘और यह कि इन बातों ने राजीव गांधी के दिमाग में शक पैदा कर दिए। ये कहानियां पूरी तरह गलत और द्वेषपूर्ण हैं।’ रूपा प्रकाशन की ओर से प्रकाशित इस किताब में राष्ट्रपति ने कहा कि राजीव गांधी कैबिनेट से हटाए जाने का अंदेशा उन्हें ‘रत्ती भर भी नहीं था।’ प्रणब ने लिखा, ‘मैंने कोई अफवाह नहीं सुनी। न ही पार्टी में किसी ने इस बाबत जरा भी कोई संकेत दिए। जब यह हुआ तो पीवी नरसिंह राव भी हैरत में थे। उन्होंने मुझे कई बार फोन कर जानना चाहा कि मुझे कोई फोन आया था कि नहीं।’
उन्होंने संस्मरण में लिखा है, ‘जब मुझे कैबिनेट से बाहर किए जाने की बात पता चली तो मैं स्तब्ध और अचंभित था। मुझे यकीन ही नहीं हो पा रहा था। लेकिन मैंने खुद को किसी तरह सहज किया और अपनी पत्नी के बगल में बैठा। वह टीवी पर शपथ-ग्रहण समारोह देख रही थी।’ प्रणब ने इस वाकये के बाद केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि किसी मंत्री स्तरीय आवास की बजाय उन्हें एक छोटा सा मकान आवंटित कर दिया जाए।