मंदसौर। पुलिस लाइन में पदस्थ रक्षित निरीक्षक जगदीश पाटिल पर एक प्रआ चालक द्वारा भ्रष्टाचार के खुलेआम आरोप लगाने के बाद सारे मामले को सार्वजनिक कर दिया गया। इस पर अनुशासनहीनता करने के चलते एसपी ने प्रआ को निलंबित कर सीएसपी कार्यालय में अटैच कर दिया है। एसपी का कहना है कि प्रधान आरक्षक की शिकायत पर एएसपी व एसडीओपी आरआई की जांच कर ही रहे हैं।

पुलिस लाइन के पेट्रोल पंप और वाहन शाखा में लंबे समय से हेराफेरी की जा रही है। इसे लेकर अक्टूबर14 में प्रधान आरक्षक चालक महेश मिश्रा ने आरआई जगदीश पाटिल से इसका विरोध किया। उन्होंने 30 दिसंबर 2014 को रोजनामचा जब्त कर मिश्रा की शिकायत कर दी। इसके विरोध में 6 से 15 जनवरी 2015 तक एसपी से लेकर डीजीपी तक को मामले से अवगत कराया। 17 जनवरी को जांच शुरू हुई। इसमें एसडीओपी डीवीएस चौहान ने मिश्रा के बयान लिए। मिश्रा के अनुसार एसडीओपी मुद्दे से भटककर अन्य मामलों की जांच करने लगे। मिश्रा ने इसकी भी शिकायत एसपी मनोज शर्मा से की लेकिन समस्या का निदान नहीं हुआ। इसके बाद 15 बिंदुवार जानकारी विभाग से मांगी। लेकिन विभाग ने उसमें भी मूल जानकारी नहीं दी।

जानकारी सार्वजनिक करने

पर कर दी कार्रवाई

सुवासरा थाने में पदस्थ वाहन चालक प्रआ महेश मिश्रा की शिकायतों पर अभी तक तो एसपी मनोज शर्मा भी ध्यान देकर जांच करा रहे थे। लेकिन इसी बीच महेश मिश्रा ने जानकारी सार्वजनिक कर दी। शुक्रवार को एसपी श्री शर्मा ने विभाग की गोपनीयता भंग करने और अनुशासनहीनता के चलते महेश मिश्रा को निलंबित कर सीएसपी कार्यालय में अटैच कर दिया।

यह है शिकायत में

वाहन चालक मिश्रा द्वारा सभी वरिष्ठ अधिकारियों को की गई शिकायत में बताया कि आरआई पाटिल थाने में अटैच वाहनों का निजी प्रयोग कर रहे हैं। पुलिस पेट्रोल पम्प सादा डीजल भराकर अकाउंट में स्पीड डीजल की पर्ची लगा रहे हैं। हफ्ता देने वाले चालकों को बिना आवेदन के अवकाश पर भेजा जा रहा है। आरआई द्वारा रोजनामचे में दस्तखत करने के लिए मिश्रा से रुपए की भी मांग की भी शिकायत की है।

रोजनामचे में कर दी शिकायत

अधिकारी ने बदला लेने की नीयत से पहले तो वाहन शाखा के रोजनामचे में उसकी झूठी शिकायत की। 15 जनवरी को पंचनामा बनाकर रोजनामचा जब्त करने के बाद से अब तक रोजनामचा नहीं लिखा गया है जो पुलिस रेगुलेशन एक्ट के खिलाफ है। जांच से दूर रखने की नीयत से तीन स्थानांतरण किए गए। जनवरी से अब तक लाइन से नई आबादी, वहां से वायडी नगर फिर सुवासरा स्थानांतरण कर दिया।

निलंबित किया