मुंबई। 22 वर्षीय हार्दिक पटेल ने भले ही इस समय गुजरात की राजनीति में भूचाल ला दिया हो, लेकिन वीरमगाम के इस पाटीदार नेता की एक समय पहचान उभरते क्रिकेटर के रूप में थी। आज हार्दिक के नेतृत्व में चलाए जा रहे पटेल आरक्षण आंदोलन ने प्रधानमंत्री मोदी तक की नाक में दम कर दिया है।

भारतभाई और उषाबेन पटेल के यहां 20 जुलाई 1993 को जन्मे हार्दिक जब 6 वर्ष के थे तब उनके माता-पिता चंद्रनगर के वीरमगाम शिफ्ट हो गए। उन्होंने दिव्यज्योत प्रायमरी स्कूल और फिर केबी शाह हायरसेकंडरी स्कूल में शिक्षा ग्रहण की। वहां के शिक्षक उन्हें शै‍क्षणिक योग्यता की बजाए क्रिकेट के कौशल की वजह से ज्यादा जानते हैं। हार्दिक 2010 में स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद अहमदाबाद के सहजानंद कॉलेज में शिफ्ट हुए, जहां के दोस्त और शिक्षक भी उन्हें औसत छात्र और शानदार क्रिकेटर के रूप में पहचानते हैं।

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किस तरह हुई आंदोलन की शुरुआत

हार्दिक की बहन मोनिका को 12वीं में 84 प्रतिशत अंक मिले, इसके बावजूद उन्हें राज्य सरकार की स्कॉलरशिप नहीं मिल पाई। संभवत: इसी वजह से यह उभरता क्रिकेटर अपने खेल की दुनिया को छोड़कर पटेलों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर गुजरात में जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन की अगुआई कर रहा है। हार्दिक को सबसे ज्यादा बात यह अखरी की मोनिका की एक दोस्त को 81 प्रतिशत अंकों के बावजूद स्कॉलरशिप मिल गई, क्योंकि वह ओबीसी कैटेगरी में आती है। 20 वर्षीया मोनिका अब इंग्लिश में एमए कर रही है।

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मोनिका ने कहा- मैं कक्षा 12वीं में तालुका में टॉपर थी और नियमों के अनुसार ‍मुझे राज्य सरकार की तरफ से स्कॉलरशिप मिलनी चाहिए थी। लेकिन मुझे मना कर दिया और मेरी दोस्त को प्रदान कर दी गई। मैं अपनी दोस्त के लिए खुश हूं, लेकिन मुझे स्कॉलरशिप नहीं मिलने की वजह से काफी निराशा हुई।

जन्मजात नेतृत्वकर्ता

हार्दिक के स्कूल के शिक्षकों के अनुसार वह वैसे तो शर्मीले स्वभाव का था, लेकिन उसमें जबर्दस्त नेतृत्व और प्रबंधन क्षमता थी। राष्ट्रीय महत्व के दिनों पर क्रिकेट टूर्नामेंट से रैली आयोजित करने में वह हमेशा आगे रहता था। उषाबेन ने कहा- वह बेखौफ था और सबसे अलग दिखना चाहता था। हमें उसके बारे में कभी किसी से कोई शिकायत नहीं मिली। वो हर स्थिति अपने तरीके से संभाल लेता है।

केबी शाह स्कूल के प्राचार्य अल्केश दवे ने कहा- हार्दिक का स्कूली करियर क्रिकेट मैदान पर बहुत विस्फोटक था और उन्हें कई बार दंडित भी किया गया, जिनमें एक बार बेंच तोड़ने की सजा शामिल थी।

सबमर्सिबल पंप्स की वर्कशॉप चलाने वाले भारतभाई ने कहा- ‘वो वहीं बनना चाहता था जो आज हैं। उसका झुकाव पढ़ाई से ज्यादा सामाजिक कार्यों की तरफ था।’ भाजपा के पूर्व कार्यकर्ता भारतभाई की प्रागजी पटेल को प्रमुख भाजपा नेता बनाने में अहम भूमिका रही थीं। उन्होंने कहा- जब हमने देखा कि प्रागजी अपने समाज के लिए कुछ नहीं कर पा रहे हैं तो हमने 2012 में उनसे समर्थन हटा लिया और वे विधानसभा चुनाव हार गए। हार्दिक के लिए राजनीतिक करियर शुरू करना बहुत आसान है, लेकिन मैं चाहता हूं कि वे समाज के अधिकार की लड़ाई को जारी रखे।