बेंगलूरः देश की सबसे बड़ी ऑनलाइन रिटेल कंपनी फ्लिपकार्ट और सबसे बड़ी ऑनलाइन फैशन रिटेलर मिंट्रा की अगुवाई में इंडियन ई-कॉमर्स कंपनियां ट्रडिशनल डिस्काउंट मॉडल से आगे निकल रही हैं। पिछले 6 महीनों में इन कंपनियों ने ग्राहकों को अट्रैक्ट करने के लिए जो डिस्काउंट दिया, अब उसमें कमी आ रही है।कुछ ई-कॉमर्स कंपनियां मान चुकी हैं कि लॉन्ग टर्म में डिस्काउंट मॉडल नहीं चल सकता। वहीं जो कंपनियां मच्योरिटी लेवल पर पहुंच गई हैं, वे आसानी से डिस्काउंट कम कर सकती हैं। मिंट्रा के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर गणेश सुब्रह्मण्यम ने कहा, ”हम डिस्काउंट कम करने की दिशा में लगाता काम कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा, ”पिछले 6 महीने में कूपन लेवल में कमी आई है। इससे पहले कूपन 40 फीसदी तक बढ़ गया था। पिछले 6 महीने में यह घटकर 30 फीसदी से कम रह गया है। 2015 की दूसरी छमाही में यह तकरीबन 20 फीसदी रहना चाहिए।”

सुब्रह्मण्यम ने माना कि इसी वजह से मिंट्रा की सेल्स कम हुई है। पिछले 6 महीने में नए कस्टमर की तादाद 20 फीसदी तक ही सीमित रही है। उनका मानना है कि प्राइवेट ब्रैंड्स पर फोकस करने से आगे प्रॉफिटेबिलिटी में सुधार होगा। फ्लिपकार्ट के एक सीनियर ऐग्जिक्युटिव ने डिस्काउंट में कमी का आंकड़ा दिए बगैर कहा कि पिछले 6 महीने में ‘सभी कैटिगरी में दिए जाने वाले डिस्काउंट में कमी आई है।’

पिछले 6 महीने में जबॉन्ग के फैशन पोर्टल पर 8 से 10 फीसदी तक डिस्काउंट में कमी आई है। इस मामले में जबॉन्ग को भेजी गई ई-मेल का जवाब नहीं मिला। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ई-कॉमर्स कंपिनयों के डिस्काउंट रेट्स घटाने का मतलब है कि इन कंपनियों के ग्लोबल विकास से लगाया जा रहा है।

लंदन की कंसल्टेंसी कंटर रिटेल के ई-कॉमर्स और रिटेल ऐनालिस्ट स्टीफन मडेर ने कहा, ”यह ई-कॉमर्स की मच्योरिटी का साइकल है, जो हम दुनिया भर के बाजारों में देख रहे हैं।”