नई दिल्ली:

भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान को उम्मीद है कि इस साल देश में दालों का उत्पादन करीब 221 लाख टन होगा और आम लोगों को सस्ते दामों पर दाले बाजार में उपलब्ध होगी. पिछले साल की तरह दालों के दाम 200 रुपये तक नहीं जायेंगे.

भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. एनपी सिंह ने आज बताया कि इस साल देश में दलहन उत्पादन में ऐतिहासिक वृद्धि होने की संभावना है. कृषि सहकारिता विभाग के अनुमान के अनुसार देश में इस साल लगभग 221 लाख टन होना तय है. दालों की इस बंपर पैदावार में वैज्ञानिक विधि से उन्नत तकनीक का इस्तेमाल भी एक महत्तवपूर्ण हिस्सा है. पिछले साल देश में दालों की कीमत 200 रुपये तक पहुंच गयी थी. इसकी वजह थी कि हमारे देश में दलहन का उत्पादन 160 से 180 लाख टन होता था जबकि देश दाल की खपत करीब 220 लाख टन की थी. उन्होंने बताया कि दलहन उत्पादकता में वृद्धि लाना, कम समय में पैदा होने वाली दलहन की प्रजातियों का विकास करना और फसल की गुणवत्ता को बढ़ाना प्रमुख था. पिछले साल से किये जा रहे इन प्रयासों के सुखद परिणाम सामने आये और अब दालों के आयात पर हमारी निर्भरता घटेगी और दालों के दाम भी नियंत्रित रहेंगे.

उन्होंने बताया कि पिछले 2 सालों में अलग-अलग दलहन की फसलों की 23 उन्नतशील प्रजातियां विकसित की गयी जिसमें चने की 7, अरहर की 4, मूंग व मसूर की 3-3 और मटर और उड़द दाल की 1-1 किस्म प्रजाति विकसित की गयी.

सिंह ने बताया कि इन सभी प्रजातियों में दलहन संस्थान द्वारा 9 उन्नतिशील प्रजातियां विकसित की गयी जिसमें 55 दिनों से कम में पकने वाली मूंग की प्रजाति आईपीएम 205.7 (विराट) को अभी हाल ही में रिलीज किया गया है. इसके अलावा मसूर दाल की एक प्रजाति आईपीएल 220 को भी विकसित किया गया है जो लौह तत्व और जिंक से परिपूर्ण है और कुपोषण की समस्या को दूर करती है.

उन्होंने बताया कि यह दलहन संस्थान इक्रीसेट हैदाराबाद, एवीआरडीसी ताईवान, एसीआईएआर आस्ट्रेलिया, और इकार्डा लेबनान जैसी विश्वस्तरीय संस्थाओं के साथ मिलकर शोध कार्य कर रहा है. इस शोध कार्य में देश के महत्तवपूर्ण वित्तीय संस्थान भी मदद कर रहे है. संस्थान का लक्ष्य है साल 2020 तक देश में दालों का उत्पादन बढ़ाना.