इस बार देवउठनी ग्यारस पर विवाह का श्रेष्ठ मुहूर्त नहीं
उज्जैन। देव प्रबोधिनी एकादशी पर 22 नवंबर को देव शक्ति जागृत होगी। इसके साथ ही मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी और शहनाई की गूंज सुनाई देगी। हालांकि इस बार सिंह राशिकृत बृहस्पति का गोचर चल रहा है। इस दृष्टि से केवल अपरिहार्य स्थिति में ही शास्त्र सम्मत शुद्ध मुहूर्तों में विवाह होंगे। ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर देव प्रबोधन होगा। इसे देव उठनी ग्यारस भी कहा जाता है। यह एकादशी अबूझ मुहूर्त मानी जाती है।
इस दिन तुलसी विवाह की परंपरा है। इस बार एकादशी पर विवाह का श्रेष्ठ मुहूर्त नहीं है। फिर भी लोग चातुर्मास के समापन पर परंपरागत मान्यता का पालन करते हुए मांगलिक कार्य करेंगे। देव उठनी ग्यारस पर श्रीकृष्ण मंदिर तथा घरों में तुलसी-सालिग्राम के विवाह होंगे। गोधूलि बेला में का मंडप बनाकर देव विवाह कराया जाएगा। लोग आतिशबाजी कर खुशियां मनाएंगे। इस दिन को छोटी दीपावली भी कहा जाता है।
अप्रैल से श्रेष्ठ मुहूर्त
अप्रैल-2016 से सिंहस्थ होने के बावजूद मांगलिक कार्यों के निर्दोष श्रेष्ठ मुहूर्त शुरू हो जाएंगे। ज्योतिष मान्यता के अनुसार अप्रैल से सूर्य का मेष राशि में प्रवेश होगा। मेष राषि के सूर्य में सिंह राशि के बृहस्पति का दोष समाप्त हो जाता है।
मांगलिक कार्यों के श्रेष्ठ मुहूर्त
विवाह
नवंबर-26, 27
दिसंबर-7, 8, 13, 14
जनवरी-2016-15, 19, 20, 29
फरवरी-4, 5, 22, 24
मार्च-2, 5, 10
अप्रैल-16 से 27
जुलाई-13
नवंबर-16, 23, 24
दिसंबर-1, 3, 8, 9, 12
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यज्ञनोपवीत
जनवरी-2016-20, 29
फरवरी-11, 17, 24, 25
मार्च-10
अप्रैल-11, 27
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गृह आरंभ
नवंबर-27
जनवरी-2016-26
फरवरी-17, 25
अप्रैल-20 से 22
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गृह प्रवेश
दिसंबर-4, 6
जनवरी-2016-15, 21, 24
फरवरी-3, 12, 15, 17