इंदौर।आमतौर पर एमवाय अस्पताल में लावारिस गंभीर मरीज या तो दम तोड़ देता है या सड़क पर आ जाता है। बहुत कम खुशनसीब होते हैं जिनके परिवार का पता चलता है। ऐसा ही एक मरीज नंदकिशोर यहां महीनेभर से भर्ती था। उस पर संवेदनशील लोगों की नजर पड़ी। उन्होंने इंटरनेट से बिहार के एक गांव में रह रहे उसके परिवार को ढूंढ निकाला। बेटे को मृत मान चुकी मां ने जब एमवाय में बेटे को देखा तो उसे यकीन नहीं हो रहा था। परिवार को मिलवाने वालों ने उनके बिहार तक पहुंचने का भी इंतजाम किया।दरअसल, 40 साल का नंदकिशोर 20 अक्टूबर को पीथमपुर में काम करने आया था। एक दिन बाद ही उसका एक्सीडेंट हो गया। इसमें उसके कमर में गहरी चोट आई और निचला हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया। 21 अक्टूबर को 108 एंबुलेंस उसे एमवाय छोड़ गई। तब से अस्पताल में भर्ती है। जब सुफलाम् संस्था के शैलेंद्र बंसल की उस पर नजर पड़ीतो उन्होंने घर-परिवार की पूछताछ की।नंदकिशोर ने सिर्फ बिहार के जगदीशपुर का रहने वाला बताया था। उन्होंने इंटरनेट से जगदीशपुर के पुलिस थाने की जानकारी निकाली और पुलिस को नंदकिशोर के बारे में बताया। पुलिस ने गांव मुंगवुले में उसके परिवार को खोजा। वहां पुलिस और यहां एमवाय में बंसल ने नंदकिशोर और उसकी पत्नी की फोन पर बात करवाई। दोनों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया।मंगलवार को मरीज के परिवार वाले अस्पताल पहुंचे। एक-दूसरे को देखकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। सहायता संस्था के राधेश्याम साबू ने सभी का पटना लौटने का बुधवार का रेलवे टिकट करवाया।