Surgical Strike on Terrorism Fails, Increased terrorists training camps in POK

सीमा पार आतंकवाद और कश्मीर के हालात पर सर्जिकल स्ट्राइक और नोटबंदी का असर नाकाम साबित हो रहा है। नियंत्रण रेखा (एलओसी) से सटे पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकी ट्रेनिंग कैंपों की संख्या बढ़कर 55 के करीब पहुंच गई है। नोटबंदी के आतंकवाद पर गहरे असर के सरकार के दावे से उलट घाटी में हिंसक वारदात और आतंकी हमले बदस्तूर जारी हैं।
उधर, सुकमा और महीने भर पहले हुए बड़े नक्सली हमलों ने भी नक्सलवाद पर नोटबंदी के असर के दावे को कमजोर किया है। सुरक्षा एजेंसियों और सरकार के शीर्ष स्तर पर इस बात की चर्चा है। हफ्ते भर पहले तैयार की गई खुफिया रिपोर्ट में भी इसका जिक्र है।

उच्च पदस्थ सरकारी सूत्रों के मुताबिक, 29 सितंबर को भारतीय सेना की पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाक ट्रेनिंग कैंपों को एलओसी से दूर ले गया था। लेकिन इस साल जनवरी के बाद पीछे गए करीब 35 कैंप वापस एलओसी के नजदीक आ गए हैं।

खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, 20 नए ट्रेनिंग कैंपों की भी खबर है। कश्मीर डेस्क से संबंधित खुफिया विभाग के शीर्ष अधिकारी ने माना कि पाकिस्तान को सर्जिकल स्ट्राइक से भौंचक व हतप्रभ करने की रणनीति पूरी तरह काम नहीं आई। अब इसकेलिए नई रणनीति पर काम करना होगा। सूत्रों ने बताया कि घाटी में बर्फ पिघलने के बाद आतंकी और अलगाववादी गतिविधि में कोई कमी नहीं आई है। बल्कि पिछले साल के मुकाबले स्थिति और भी बदतर हुई है।

इधर नक्सलियों ने सुकमा और उससे पहले भी सुरक्षा बलों पर बड़ा हमला किया। खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, नक्सलियों की गुरिल्ला आर्मी पीएलजीए मजबूत हो रही है। उसकी संख्या करीब 1500 तक पहुंच गई है। इस बात पर मंत्रणा चल रही है कि नोटबंदी के बाद आतंकवाद और उग्रवाद पर वाकई कितना असर पड़ा।

अलगाववादियों से बात न करने पर अड़ा हुआ है केंद्र
केंद्र कश्मीर के अलगाववादियों से बातचीत नहीं करने के फैसले पर कायम है। सरकार में शीर्ष स्तर पर यह फैसला हुआ है कि केंद्र सुप्रीम कोर्ट में कश्मीर मुद्दे पर बहस के दौरान रखे गए पक्ष पर अडिग रहेगा। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती लगातार अलगाववादियों समेत सभी पक्षकारों से बातचीत की शुरुआत के पक्ष में हैं। सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर बार एसोसिएशन ने भी अपील कर बातचीत की प्रक्रिया शुरू करने की गुजारिश की थी। हालांकि सरकार पर घाटी में जारी हिंसक हालात पर जल्द से जल्द काबू करने का जबरदस्त दबाव है।