आज से मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी शुरू, ऐसे उठाए लाभ
मल्टीमीडिया डेस्क। 3 जुलाई से देशव्यापी मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (एमएनपी) लागू हो गई है। इसका मतलब हुआ कि एक राज्य या सर्किल से दूसरे में स्थायी तौर पर जाने पर भी मोबाइल नंबर बदलने की जरूरत नहीं होगी। जीवन भर व्यक्ति एक ही मोबाइल नंबर रख सकता है। अभी तक सिर्फ एक मोबाइल सर्किल के बीच ही ऑपरेटर बदलने पर अपना नंबर बनाए रखने की इजाजत थी।
इससे पहले 20 जनवरी 2011 में भी मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी की सुविधा शुरू की गई थी, लेकिन उस सुविधा के तहत कोई भी उपभोक्ता केवल अपने क्षेत्र (टेलिकॉम एरिया/राज्य) में ही अपना ऑपरेटर बदल सकता था।
आइए समझते हैं कि अभी तक किस प्रक्रिया से मोबाइल के ऑपरेटर को बदला जाता है।
- मोबाइल फोन के एसएमएस बॉक्स में PORT तथा 10 अंकों का मोबाइल नंबर लिखकर उसे यूनिक नंबर 1900 पर मैसेज भेजना पड़ता है।
- एसएमएस भेजते ही आपको आठ अंकों का यूनिक पोर्टिंग कोड (यूपीसी) प्राप्त होता है।
- इस कोड को एक निर्धारित फार्मेट (एमएनपी), कस्टमर एप्लीकेशन फार्म के साथ वांछित कंपनी के आउटलेट पर एक फोटो और एड्रेस प्रूफ सहित जमा कराना पड़ता है।
- यह सुनिश्चित करने के बाद कि, आपके कनेक्शन पर कोई बिल बकाया नहीं है, नई कंपनी द्वारा आपको नई सिम दी जाती है।
- प्रक्रिया पूर्ण होने में लगने वाले घंटे एसएमएस के माध्यम से उपभोक्ता को बताती है। आपके खाते में से 19 रुपए काटे जाते हैं।
- नेटवर्क शिफ्टिंग का उपभोक्ता को एसएमएस प्राप्त होगा तो उपभोक्ता को नई सिम लगानी होती है। इसके बाद आपकी कंपनी बदल जाती है।
वर्तमान एमएनपी की सीमाएं
- एक सर्कल से दूसरे सर्कल में इस सुविधा का लाभ नहीं उठा सकते थे, यानी मध्यप्रदेश सर्कल का बीएसएनएल उपभोक्ता दिल्ली सर्कल में जाकर कंपनी नहीं बदल सकता था।
- पुरानी कंपनी का कुछ बकाया लेकर अगर कंपनी बदल भी ली जाती है तो 90 दिनों में उसका भुगतान कराना जरूरी है अन्यथा नई कंपनी द्वारा भी नंबर बंद कर दिया जाता है।
- यह पता लगाने में दिक्कत होती है कि यह नंबर वर्तमान में किस कंपनी के पास है।
- जब अंतिम रूप से एक कंपनी नई कंपनी को नंबर हैंडओवर करती है तब दो घंटे के लिए मोबाइल में नेटवर्क नहीं रहता है। हालांकि यह समय अमूमन देर रात का ही होता है।
- एक कंपनी के साथ कम से कम 90 दिनों के लिए तो रहना ही होता है। इसके पहले आप कंपनी नहीं बदल सकते हैं।
- यूपीसी कुछ दिनों के लिए ही मान्य होता है, कंपनी नहीं बदलने पर वो अपने आप रद्द हो जाता है।
यह सुविधाएं है
- उपभोक्ता अगर सीडीएमए नंबर से परेशान हैं तो वो दूसरी कंपनी के जीएसएम में भी उस नंबर को बदल सकता है।
- पोस्टपेड से प्रीपेड और प्रीपेड से पोस्टपेड भी मोबाइल नंबर को नई कंपनी के साथ बदला जा सकता है।
पोर्टिंग में कितना समय लगता है
- भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण के अनुसार, किन्ही भी 7 कार्यदिवस के अंदर पोर्टिंग का कार्य पूरा हो जाएगा। जम्मू-कश्मीर, असम और उत्तर पूर्व सेवा क्षेत्रों में 15 दिनों की समय सीमा निर्धारित की गई है।
मल्टीमीडिया डेस्क। 3 जुलाई से देशव्यापी मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (एमएनपी) लागू हो गई है। इसका मतलब हुआ कि एक राज्य या सर्किल से दूसरे में स्थायी तौर पर जाने पर भी मोबाइल नंबर बदलने की जरूरत नहीं होगी। जीवन भर व्यक्ति एक ही मोबाइल नंबर रख सकता है। अभी तक सिर्फ एक मोबाइल सर्किल के बीच ही ऑपरेटर बदलने पर अपना नंबर बनाए रखने की इजाजत थी।
इससे पहले 20 जनवरी 2011 में भी मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी की सुविधा शुरू की गई थी, लेकिन उस सुविधा के तहत कोई भी उपभोक्ता केवल अपने क्षेत्र (टेलिकॉम एरिया/राज्य) में ही अपना ऑपरेटर बदल सकता था।
आइए समझते हैं कि अभी तक किस प्रक्रिया से मोबाइल के ऑपरेटर को बदला जाता है।
- मोबाइल फोन के एसएमएस बॉक्स में PORT तथा 10 अंकों का मोबाइल नंबर लिखकर उसे यूनिक नंबर 1900 पर मैसेज भेजना पड़ता है।
- एसएमएस भेजते ही आपको आठ अंकों का यूनिक पोर्टिंग कोड (यूपीसी) प्राप्त होता है।
- इस कोड को एक निर्धारित फार्मेट (एमएनपी), कस्टमर एप्लीकेशन फार्म के साथ वांछित कंपनी के आउटलेट पर एक फोटो और एड्रेस प्रूफ सहित जमा कराना पड़ता है।
- यह सुनिश्चित करने के बाद कि, आपके कनेक्शन पर कोई बिल बकाया नहीं है, नई कंपनी द्वारा आपको नई सिम दी जाती है।
- प्रक्रिया पूर्ण होने में लगने वाले घंटे एसएमएस के माध्यम से उपभोक्ता को बताती है। आपके खाते में से 19 रुपए काटे जाते हैं।
- नेटवर्क शिफ्टिंग का उपभोक्ता को एसएमएस प्राप्त होगा तो उपभोक्ता को नई सिम लगानी होती है। इसके बाद आपकी कंपनी बदल जाती है।
वर्तमान एमएनपी की सीमाएं
- एक सर्कल से दूसरे सर्कल में इस सुविधा का लाभ नहीं उठा सकते थे, यानी मध्यप्रदेश सर्कल का बीएसएनएल उपभोक्ता दिल्ली सर्कल में जाकर कंपनी नहीं बदल सकता था।
- पुरानी कंपनी का कुछ बकाया लेकर अगर कंपनी बदल भी ली जाती है तो 90 दिनों में उसका भुगतान कराना जरूरी है अन्यथा नई कंपनी द्वारा भी नंबर बंद कर दिया जाता है।
- यह पता लगाने में दिक्कत होती है कि यह नंबर वर्तमान में किस कंपनी के पास है।
- जब अंतिम रूप से एक कंपनी नई कंपनी को नंबर हैंडओवर करती है तब दो घंटे के लिए मोबाइल में नेटवर्क नहीं रहता है। हालांकि यह समय अमूमन देर रात का ही होता है।
- एक कंपनी के साथ कम से कम 90 दिनों के लिए तो रहना ही होता है। इसके पहले आप कंपनी नहीं बदल सकते हैं।
- यूपीसी कुछ दिनों के लिए ही मान्य होता है, कंपनी नहीं बदलने पर वो अपने आप रद्द हो जाता है।
यह सुविधाएं है
- उपभोक्ता अगर सीडीएमए नंबर से परेशान हैं तो वो दूसरी कंपनी के जीएसएम में भी उस नंबर को बदल सकता है।
- पोस्टपेड से प्रीपेड और प्रीपेड से पोस्टपेड भी मोबाइल नंबर को नई कंपनी के साथ बदला जा सकता है।
पोर्टिंग में कितना समय लगता है भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण के अनुसार, किन्ही भी 7 कार्यदिवस के अंदर पोर्टिंग का कार्य पूरा हो जाएगा। जम्मू-कश्मीर, असम और उत्तर पूर्व सेवा क्षेत्रों में 15 दिनों की समय सीमा निर्धारित की गई है। – See more at: http://www.jagran.com/news/national-all-about-national-mobile-number-portability-12550341.html#sthash.UHcjehFO.dpuf
मल्टीमीडिया डेस्क। 3 जुलाई से देशव्यापी मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (एमएनपी) लागू हो गई है। इसका मतलब हुआ कि एक राज्य या सर्किल से दूसरे में स्थायी तौर पर जाने पर भी मोबाइल नंबर बदलने की जरूरत नहीं होगी। जीवन भर व्यक्ति एक ही मोबाइल नंबर रख सकता है। अभी तक सिर्फ एक मोबाइल सर्किल के बीच ही ऑपरेटर बदलने पर अपना नंबर बनाए रखने की इजाजत थी।
इससे पहले 20 जनवरी 2011 में भी मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी की सुविधा शुरू की गई थी, लेकिन उस सुविधा के तहत कोई भी उपभोक्ता केवल अपने क्षेत्र (टेलिकॉम एरिया/राज्य) में ही अपना ऑपरेटर बदल सकता था।
आइए समझते हैं कि अभी तक किस प्रक्रिया से मोबाइल के ऑपरेटर को बदला जाता है।
- मोबाइल फोन के एसएमएस बॉक्स में PORT तथा 10 अंकों का मोबाइल नंबर लिखकर उसे यूनिक नंबर 1900 पर मैसेज भेजना पड़ता है।
- एसएमएस भेजते ही आपको आठ अंकों का यूनिक पोर्टिंग कोड (यूपीसी) प्राप्त होता है।
- इस कोड को एक निर्धारित फार्मेट (एमएनपी), कस्टमर एप्लीकेशन फार्म के साथ वांछित कंपनी के आउटलेट पर एक फोटो और एड्रेस प्रूफ सहित जमा कराना पड़ता है।
- यह सुनिश्चित करने के बाद कि, आपके कनेक्शन पर कोई बिल बकाया नहीं है, नई कंपनी द्वारा आपको नई सिम दी जाती है।
- प्रक्रिया पूर्ण होने में लगने वाले घंटे एसएमएस के माध्यम से उपभोक्ता को बताती है। आपके खाते में से 19 रुपए काटे जाते हैं।
- नेटवर्क शिफ्टिंग का उपभोक्ता को एसएमएस प्राप्त होगा तो उपभोक्ता को नई सिम लगानी होती है। इसके बाद आपकी कंपनी बदल जाती है।
वर्तमान एमएनपी की सीमाएं
- एक सर्कल से दूसरे सर्कल में इस सुविधा का लाभ नहीं उठा सकते थे, यानी मध्यप्रदेश सर्कल का बीएसएनएल उपभोक्ता दिल्ली सर्कल में जाकर कंपनी नहीं बदल सकता था।
- पुरानी कंपनी का कुछ बकाया लेकर अगर कंपनी बदल भी ली जाती है तो 90 दिनों में उसका भुगतान कराना जरूरी है अन्यथा नई कंपनी द्वारा भी नंबर बंद कर दिया जाता है।
- यह पता लगाने में दिक्कत होती है कि यह नंबर वर्तमान में किस कंपनी के पास है।
- जब अंतिम रूप से एक कंपनी नई कंपनी को नंबर हैंडओवर करती है तब दो घंटे के लिए मोबाइल में नेटवर्क नहीं रहता है। हालांकि यह समय अमूमन देर रात का ही होता है।
- एक कंपनी के साथ कम से कम 90 दिनों के लिए तो रहना ही होता है। इसके पहले आप कंपनी नहीं बदल सकते हैं।
- यूपीसी कुछ दिनों के लिए ही मान्य होता है, कंपनी नहीं बदलने पर वो अपने आप रद्द हो जाता है।
यह सुविधाएं है
- उपभोक्ता अगर सीडीएमए नंबर से परेशान हैं तो वो दूसरी कंपनी के जीएसएम में भी उस नंबर को बदल सकता है।
- पोस्टपेड से प्रीपेड और प्रीपेड से पोस्टपेड भी मोबाइल नंबर को नई कंपनी के साथ बदला जा सकता है।
पोर्टिंग में कितना समय लगता है
- भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण के अनुसार, किन्ही भी 7 कार्यदिवस के अंदर पोर्टिंग का कार्य पूरा हो जाएगा। जम्मू-कश्मीर, असम और उत्तर पूर्व सेवा क्षेत्रों में 15 दिनों की समय सीमा निर्धारित की गई है।
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