नई दिल्ली। रेलमंत्री सुरेश प्रभु आज दोपहर 12 बजे लोकसभा में वर्ष 2016-17 का रेल बजट पेश करेंगे। पिछले रेल बजट में उन्होंने रेलवे के कायाकल्प का रोडमैप पेश किया था। लेकिन इस बार उनका जोर ग्राहकों को बेहतर व वैकल्पिक सुविधाएं देने, शिकायतें दूर करने तथा यातायात क्षमताएं बढ़ाने पर होगा।

इसके लिए यथासंभव कीमत वसूली जाएगी और गैरजरूरी रियायतों को काटा जाएगा। प्रभु के शब्दों में कहें तो रेल बजट ‘रेल और देश दोनों के हित में होगा।’

प्रभु के सामने चुनौती

प्रभु के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती सातवें वेतन आयोग के लिए 32 हजार करोड़ रुपये जुटाने की है। वित्त मंत्रालय ने यह राशि देने से मना कर दिया है। जाहिर है इसकी वसूली कहीं न कहीं से करनी होगी।

मौजूदा राजनीतिक हालात किरायों में सीधी बढ़ोतरी की इजाजत नहीं देते। लिहाजा परोक्ष बढ़ोतरी के साथ आउटसोर्सिग का सुरक्षित रास्ता अपनाया जा सकता है।

चुनिंदा सेवाओं को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से निजी क्षेत्र को सौंपकर भी एकमुश्त राशि जुटाई जा सकती है। बदले में वे ग्राहकों से इसकी कीमत वसूलेंगे। कुछ सेक्शन पर निजी कंपनियों को पैसेंजर ट्रेने चलाने की अनुमति भी संभव है।

ट्रेनों व स्टेशनों को आधुनिक, स्वच्छ, भीड़भाड़ से मुक्त, आरामदेह और सुरक्षित बनाने में भी कारपोरेट क्षेत्र का सहयोग लिया जाएगा। साथ ही विज्ञापनों से आय बढ़ाने के प्रयास होंगे।

राज्यों और सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों की साझेदारी में नई और अतिरिक्त लाइनें बिछाने तथा आमान परिवर्तन व विद्युतीकरण के जरिए यातायात क्षमताओं में बढ़ोतरी की नई योजनाएं होंगी। जबकि विदेशी कंपनियों के साथ मिलकर ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने के प्रोग्राम व कारखाने सामने आएंगे।
हाईस्पीड ट्रेनों के साथ प्रभु स्टेशन विकास में अब तक की प्रगति का ब्यौरा भी पेश करेंगे और बताएंगे कि कहां कितना देशी-विदेशी निवेश पक्का हुआ है।
सरकार की मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्वच्छ भारत, स्टार्ट अप, स्किल डेवलपमेंट जैसी महत्वाकांक्षी स्कीमों को बढ़ावा देने की भरपूर कोशिश करेंगे।

इस बार यात्री के साथ माल यातायात में भी अपेक्षित वृद्धि नहीं हुई है। लेकिन अगले साल इसकी भरपाई का प्रयास होगा। इसके लिए ऑटो व एफएमसीजी जैसे उत्पादों को रेलवे की ओर आकर्षित करने की कोई स्कीम आ सकती है।

कंटेनर यातायात को बढ़ावा मिलेगा। दूसरी ओर कोयला, लौह अयस्क, स्टील, सीमेंट, उर्वरक, अनाज, नमक व पेट्रोलियम की ढुलाई बढ़ाने के लिए इनके माल भाड़े में फेरबदल के साथ रियायतों व सहूलियतों की संभावना है।