नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी में कुनबे की कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रही। ये कलह एक बार फिर तब सामने आ गई जब प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल की बैठक से किनारा कर अखिलेश यादव ने अपने आवास पर उन्हीं पदाधिकारियों से अलग बैठक कर ली। इस बीच आजम खान ने अपने एक बयान से साफ कर दिया है कि इस जंग में वह भतीजे अखिलेश के खेमे में ही होंगे।azam-khan-1

पार्टी में कोई विवाद हो और आजम ना बोलें, ऐसा बहुत कम होता है। यहां भी आजम खान अपने शब्दों के बाण चलाने से नहीं चूके। दबे लफ्जों में ही सही शिवपाल पर निशाना साधते हुए आजम ने पूरे विवाद पर नसीहत दे डाली। आजम खान ने कहा है कि समाजवादी पार्टी को बनाने वालों में दो लोग जिंदा हैं, एक नेता जी और दूसरे रामगोपाल जी। हम सभी नादानों से अपील करते हैं कि ऐसी कोई हरकत न करें कि पार्टी को नुकसान हो।

दरअसल, प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल ने जिलाध्यक्षों और महानगर अध्यक्षों की बैठक बुलाई थी, जिसमें शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री को भी न्यौता भेजा गया था, लेकिन अखिलेश बैठक में तो शामिल नहीं हुए, लेकिन बैठक खत्म होते ही उन्हीं लोगों के साथ एक अलग से मीटिंग जरूर कर डाली। करीब 2 घंटे चली बैठक के बाद जिलाध्यक्षों ने बताया कि सीएम पार्टी में चल रही कलह पर काफी गंभीर हैं।

वहीं, समाजवादी पार्टी मुख्यालय पर हुई बैठक में शिवपाल ने एक बार फिर से यूपी चुनावों में पार्टी का सीएम चेहरा अखिलेश के होने की बात दोहराई। शिवपाल यादव ने कहा कि वह स्टांप पेपर पर लिखकर दे सकते हैं कि अगर पार्टी जीतती है तो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ही होंगे।

एक तरफ मीटिंग का दौर तो दूसरी तरफ चाचा भतीजे की खींचतान। ऐसे में समाजवादी पार्टी में फिर से लौटे बेनी प्रसाद वर्मा ने मामले को सुलझाने की जिम्मेदारी संभाल ली है। बेनी प्रसाद के मुताबिक अखिलेश जी से बात कर रहा हूं, उनका जवाब पॉजिटिव है। हमारी पूरी कोशिश रहेगी कि हम बातचीत करें।

उधर, सीएम अखिलेश ने 23 अक्टूबर को अपने सरकारी आवास पर सभी विधायकों और एमएलसी की बैठक बुलाई है। वहीं, दूसरी ओर 24 अक्टूबर को मुलायम ने सभी विधायकों की बैठक पार्टी कार्यालय पर बुलाई है। यूपी में सत्ता पर काबिज समाजवादी पार्टी की सत्ता डांवाडोल है, जहां पार्टी में दो फाड़ साफ नजर आ रहे हैं। ऐसे में सवाल ये है कि क्या विधानसभा चुनावों तक समाजवादी पार्टी एकजुट रह पाएगी।