आकाशगंगाओं के निर्माण में ठंडी गैसें उपयुक्त
वाशिंगटन: खगोलविदों ने एक अध्ययन में पाया है कि नए तारों के निर्माण में ठंढा ब्रह्मांडीय वातावरण उपयुक्त होता है. अध्ययन के मुताबिक, किसी आकाशगंगा से निकली गर्म गैस का बवंडर सितारों की निर्माण प्रक्रिया में बाधक साबित होता है, क्योंकि यह अपने आसपास मौजूद ठंडी गैसों की प्रकृति में बदलाव का कारण बन जाता है दरअसल, खगोलविद यह जानने का प्रयास कर रहे थे कि स्थानीय ब्रह्मांड में आकाशगंगाएं दो प्रकार -सर्पिल आकाशगंगा (हमारी आकाशगंगा जैसा) तथा अंडाकार आकाशगंगा (ओल्डर इलिप्टिकल्स) जिसमें तारों का निर्माण बंद हो चुका है- की क्यों होती हैं. अमेरिका के पासाडेना में कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी स्थित नासा (राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन) हर्शेल साइंस सेंटर के परियोजना वैज्ञानिक फिलिप एप्लेटन ने कहा, “हमने नासा द्वारा जुटाए गए कई आंकड़ों को खंगाला तथा यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के अंतरिक्ष दूरबीन से अध्ययन किया. इस दौरान हमने पाया कि अंडाकार आकाशगंगा ने हालिया अतीत में अपने पड़ोसियों के साथ भीषण टक्करों के कारण भारी बदलावों को झेला है.”उन्होंने कहा कि टक्कर होने के कारण उनमें मौजूद गैसों की स्थिति में बदलाव होता है, जिसके कारण आकाशगंगा द्वारा किसी तारे का निर्माण मुश्किल हो जाता है. एनजीसी 3226 अपेक्षाकृत नजदीक और यह पृथ्वी से पांच करोड़ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है.
तीन दूरबीनों द्वारा प्राप्त आंकड़ों में पाया गया कि एनजीसी 3226 में बेहद धीमी गति से तारों का निर्माण होता है.इसका मतलब तो यही निकलता है कि ऐसी स्थिति में एनजीसी 3226 के दायरे में आने वाले पदार्थ इसमें मौजूद गैसों तथा धूलकणों से टकराते हैं और जलने के बजाय बाद में ठंडे होकर तारों के निर्माण की ओर अग्रसर होते हैं.