जगन मोहन रेड्डी (फाइल फोटो)
जगन मोहन रेड्डी (फाइल फोटो) – फोटो : Facebook
आंध्र प्रदेश की कैबिनेट ने बुधवार को आंध्र प्रदेश दिशा बिल, 2019 को स्वीकृति दे दी है। अब महिलाओं के खिलाफ दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म के मामलों का निपटारा 21 दिन में करने और दोषियों के लिए सजा-ए-मौत को अनिवार्य बनाता है। इस विधेयक को विधानसभा के मौजूदा सत्र में पेश किया जाएगा।

यह कानून, आंध्र प्रदेश अपराध कानून में एक संशोधन होगा जिसे ‘आंध्र प्रदेश दिशा कानून’ नाम दिया गया है। पड़ोस के तेलंगाना में हाल ही में दुष्कर्म और हत्या का शिकार हुई महिला पशु चिकित्सक की याद में यह कानून लाया जा रहा है। इसके अलावा एक अन्य मसौदा कानून को भी मंजूरी दी गई जो महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ अत्याचार के मामलों में मुकदमा चलाने के लिए विशेष अदालतों के गठन का मार्ग प्रशस्त करेगा।

सरकारी सूत्रों की मानें तो यह दोनों विधेयक राज्य विधानसभा के मौजूदा शीतकालीन सत्र में पेश किए जा सकते हैं। प्रस्तावित ‘आंध्र प्रदेश दिशा अधिनियम’ के तहत, दुष्कर्म के लिए मौत की सजा का प्रावधान किया गया है।

संशोधित कानून, ऐसे मामलों में जहां संज्ञान लेने लायक साक्ष्य उपलब्ध हों, जांच को सात दिनों में पूरी करने और अगले 14 दिनों में अदालत से मुकदमा चलाने का प्रावधान करता है ताकि 21 दिनों के भीतर सजा दी जा सके।

वहीं मौजूदा कानून ऐसे मामलों में मुकदमा चलाने के लिए चार महीने का समय देता है। मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने, ‘महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ निर्दिष्ट अपराध के लिए आंध्र प्रदेश विशेष अदालत कानून, 2019’ के मसौदे को भी स्वीकृति दे दी है।

इस कानून के तहत, सभी 13 जिलों में विशेष अदालतें गठित की जाएंगी जो दुष्कर्म, यौन उत्पीड़न, तेजाब हमला और सोशल मीडिया के जरिए उत्पीड़न जैसे महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ होने वाले अत्याचार के मामलों में मुकदमा चलाएंगी। अपराध की गंभीरता को देखते हुए, इस कानून में पॉक्सो कानून के तहत मिलने वाली सजा के साथ ही 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान किया गया है।